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शुक्रवार, मार्च 18, 2011

प्रेम-रंग ऐसे बरसाना : होली पर अरविंद-रवि की साझा कविता

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प्रेम-रंग ऐसे बरसाना
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होली का संदेश मधुर है,
रवि -- "सदा प्यार से तुम मिलना!" -- रवि
काँटों-जैसे कभी न बनना,
अरविंद -- सदा फूल से तुम खिलना! -- अरविंद


कालिख नहीं पोतना मुँह पर,
रवि -- बस गुलाल ही तुम मलना! -- रवि
भूल-भालकर बैर पुराने,
अरविंद -- गले सभी से तुम मिलना! -- अरविंद


होली में सारी बुराइयाँ,
रवि -- फूँक जलाकर तुम देना! -- रवि
"सदा करेंगे काम भले हम",
अरविंद -- आज यही प्रण तुम लेना! -- अरविंद


बचे न कोई संगी-साथी,
रवि -- तन-मन से सबको रँगना! -- रवि
प्रेम-रंग ऐसे बरसाना,
अरविंद -- भीग जाय हर घर-अँगना! -- अरविंद

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रावेंद्रकुमार रवि और अरविंद राज 
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10 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

वाह !! बहुत सुन्दर प्रयोग..

और सन्देश भी बहुत सुन्दर है..

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर... होली की शुभकामनायें

राज भाटिय़ा ने कहा…

होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

सुंदर...अच्छे फोटो .. होली की शुभकामनायें...... हैप्पी होली

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

वार्तालाप में बहुत बढ़िया सन्देश दिया है आपने!
सुन्दर रचना!
होली की शुभकामनाएँ!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

वार्तालाप में बहुत बढ़िया सन्देश दिया है आपने!
सुन्दर रचना!
होली की शुभकामनाएँ!

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत बढ़िया सन्देश|
होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ|

मंजुला ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना चित्र भी बढिया है धन्यवाद ........
आपको होली की शुभकामनाये
...

Chinmayee ने कहा…

बहुत सुन्दर - होली कि शुभकामनाये

गिरिजा कुलश्रेष्ठ ने कहा…

बडे अन्तराल के बाद सरस पर रचनाएं दिखी । अच्चा लगा । कविता भी सुन्दर है । आपकी वापसी भी ।

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