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शनिवार, जुलाई 17, 2010

मस्ती में : पूर्णिमा वर्मन का एक शिशुगीत

मस्ती में


नानी-नातिन मस्ती में,
मस्ती मिल गई सस्ती में!


लोटपोट कर बात हुई,
हँसते-हँसते रात हुई!
सोना भूल गईं दोनों,
खेल-खेल में प्रात हुई!


दोनों की मनमानी की,
ख़बर हो गई बस्ती में!


गीत : पूर्णिमा वर्मन, छाया : इला प्रवीण
----------------------------------------------------
(चित्र में : आन्या और उसकी नानी पूर्णिमा वर्मन)

9 टिप्‍पणियां:

girish pankaj ने कहा…

natin jaisaa hi pyaraa geet. badhai purnima ji ko iss kavitaa ke liye.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

छोटा सा
प्यारा सा
सुन्दर सा
बलगीत पढ़कर
अच्छा लगा!

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

गिरीश पंकज (girish pankaj) की टिप्पणी का लिप्यांतरण -

नातिन जैसा ही प्यारा गीत.
natin jaisaa hi pyaraa geet.

बधाई पूर्णिमा जी को इस कविता के लिए.
badhai purnima ji ko iss kavitaa ke liye.

डॉ. देशबंधु शाहजहाँपुरी ने कहा…

BAHUT SUNDAR SHISHU GEET AUR BAHUT SUNDAR SHISHU BHEE...

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

नानी के साथ मस्ती...मजेदार.
___________________
'पाखी की दुनिया' में समीर अंकल के 'प्यारे-प्यारे पंछी' चूं-चूं कर रहे हैं...

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

मेल से प्राप्त राजीव थेपड़ा का संदेश -

वाऊ.......कित्ती अच्छी बात.....बच्चों के साथ खेलना......!!

Chinmayee ने कहा…

मेरी नानी भी मेरे साथ मस्ती करती है ... मुझे उनकी याद आ गई ..

nilesh mathur ने कहा…

चित्र और गीत दोनों ही बहुत सुन्दर है, माफ़ कीजियेगा बहुत दिनों से भ्रमण पर था इसलिए नहीं देख पाया !

निर्मला कपिला ने कहा…

वाह वाह पूर्णिमा जी आपने हमे भी नातिन के साथ मस्ती के दिन याद दिलवा दिये। बहुत सुन्दर
धन्यवाद।

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