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शुक्रवार, मार्च 04, 2011

प्यारी-सी पगडंडी : डॉ. मोहम्मद साजिद ख़ान की बालकविता

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प्यारी-सी पगडंडी 
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बलखाती-इठलाती, देखो,
प्यारी-सी पगडंडी।
जोड़ रही है गाँव-गाँव से,
खेत-बगीचा-मंडी।।

चलकर इस पर गुरुजन आते,
प्रतिदिन हमें पढ़ाने।
और रोज़ दादाजी जाते,
मंदिर फूल चढ़ाने।।

चलकर इस पर मस्जिद जाते,
अपने मुल्ला-काज़ी।
और इसी से जाकर दुनिया,
घूमे हैं मामाजी।।

हर पल है हौसला बढ़ाती,
करती सदा भलाई।
गर्मी-सर्दी-वर्षा में भी
मिटने कभी न पाई।। 
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डॉ. मोहम्मद साजिद ख़ान 
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5 टिप्‍पणियां:

Deepak Saini ने कहा…

bahut pyari bal kavita

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर बालकविता!
पढ़कर आनन्द आया!

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

सुंदर ...बड़ी प्यारी बाल कविता है....

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

प्यारी कविता पगडण्डी की ......

Arshad Ali ने कहा…

अत्यंत सुन्दर कविता ....बाल मन (हम सभी का ) कुछ ऐसा हीं सोंचता है ...धन्यवाद इस मनभावन कविता के लिए

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