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गुरुवार, दिसंबर 30, 2010

पापा, कैसे करूँ पढ़ाई : डॉ. बलजीत सिंह की बालकविता

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पापा, कैसे करूँ पढ़ाई?
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सूर्य निकलने से पहले ही मम्मी मुझे जगातीं।
मल-मलकर पूरे शरीर को भली-भाँति नहलातीं।
रगड़-रगड़ मेरे शरीर को, उसमें गरमी लातीं।
जब बालों में कंघी करतीं, धीरे-धीरे गातीं।
सुबह-सुबह वह मुझे खिलातीं रोज़ पराँठा ढाई।
पापा, कैसे करूँ पढ़ाई?


दादाजी जब देखो मुझ पर हुक्म चलाते रहते।
छोटू को "शू-शू" करवाने को मुझसे सब कहते।
घंटी बजने पर सब कहते, "देख, कौन आया है?"
सच कहता हूँ, बहुत नाक में मेरी दम आया है।
जूते-चप्पल मुझसे ही ढुँढवातीं चाची-ताई।
पापा, कैसे करूँ पढ़ाई?

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डॉ. बलजीत सिंह
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मंगलवार, दिसंबर 28, 2010

प्याज की बात निराली है : सरस चर्चा ( २३ )

प्याज आजकल सबसे अधिक चर्चा में है! 
बालसजग पर भी कक्षा ७ के रचनाकार 
सागर कुमार ने प्याज की महिमा का बखान 
कुछ इस तरह किया है -

कहते हैं आलू सब्जी का राजा है।
मगर प्याज ने बजाया सबका बाजा है॥
प्याज की बात निराली है।
लेकिन इसे खाना अब खयाली है॥



मकड़ी अपने जाले में क्यों नहीं फंसती?

यह जानने के लिए बाल-संसार तक चलते हैं!



यह है शुभम् सचदेव के स्कूल में हुई चित्रकला-प्रदर्शनी का एक झलक!



पाखी की बहना तन्वी अब दो महीने की हो गई है!



नन्ही पाखी बनी बाबू मोशाय!




अपने इस चित्र के साथ चुलबुल का कहना है -

एक था राजा, एक थी रानी!
उसने बोला - "पी लो पानी!"



यह है, आपकी नई दोस्त : कृतिका चौधरी!



जब से डॉ. नागेश पांडेय "संजय" ब्लॉगिंग की दुनिया में आए हैं,
इंटरनेट पर कुछ और अच्छी बालकविताएँ प्रकाशित होने लगीं हैं!
अभिनव सृजन पर प्रकाशित उनका एक बढ़िया बालगीत पढ़िए -



इम्तहान की बिल्ली आई,
बहुत ज़ोर से वह गुर्राई।
सारे चूहे काँपे थर-थर,
झट भागे सिर पर पग रखकर।



गत सप्ताह "क्रिसमस डे" की ख़ूब धूम रही!
नन्ही परी इशिता के ब्लॉग का जन्म-दिन भी इसी दिन था!





मम्मा के साथ शरारत करनेवाले "जादू" ने जादुई रंगोंवाली
क़िताब की मदद से पेंटिंग बनाना भी शुरू कर दिया है!

IMG_7504

सेंटा क्लाज से अनुष्का की मुलाकात कुछ इस तरह हुई!



प्रांजल द्वारा बनाए गए इस चित्र के साथ
डॉ. मयंक ने यीशु को ऐसे नमन किया -


मानवता के लिए
सलीबों को अपनाया।
लोहे की कीलों से
अपना तन जिसने बिंधवाया।
आओ उस यीशू को,
हम प्रणाम करें!



माधव ने सबको ऐसे "हैप्पी क्रिसमस" कहा!



पूरी दुनिया में धूमधाम से मनाया जाने वाला क्रिसमस
प्रभु ईसा मसीह के जन्म की खुशी में हर साल
25 दिसंबर को मनाया जानेवाला
ईसाइयों के सबसे महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है।
इस दिन को बड़ा दिन भी कहते हैं!
इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए चलते हैं, बाल-दुनिया में!




अब अंत में पढ़िए सरस पायस पर पढ़िए मेरी यह कविता -

सबसे प्यारी तुम



दौड़ती हो जब
पकड़ने तितलियों को
छम-छमाछम की
तरंगें छेड़कर,
याद आता है मुझे -
बचपन मेरा!


रावेंद्रकुमार रवि

रविवार, दिसंबर 26, 2010

रुको कबूतर : डॉ. नागेश पांडेय "संजय" की नई शिशुकविता



दानेवाला
फ़र्श देखकर
आए ढेर कबूतर!

चोंच मारते,
फिर झुँझलाते
उड़ जाते फिर फर-फर!

रुको, रुको,
मत उड़ो कबूतर,
मैं दाना ले आऊँ!

सच्ची-मुच्ची
खाओ फिर तुम,
मैं मन में हर्षाऊँ!


छाया एवं कविता

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डॉ. नागेश पांडेय "संजय"
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शनिवार, दिसंबर 25, 2010

आओ, मन का गीत रचें : एक : कोई भी रच सकता है

आओ, मन का गीत रचें : एक : कोई भी रच सकता है


आओ, मन का गीत रचें(प्रतिमान : मान्या)
क्या इस छायाचित्र को देखकर आपका मन कुछ कह रहा है?
यदि हाँ, तो उसे संक्षिप्त कविता या गीत के रूप में
टिप्पणी के माध्यम से हमें भी बताइए!
समय सीमा - एक सप्ताह!
आपकी रचनाओं को प्रथम, द्वितीय, ... ... स्थान देते हुए
आवश्यक संपादन के बाद एक साथ प्रकाशित किया जाएगा!
टिप्पणी द्वारा
कविता या गीत आने की सूचना
भेजनेवाले के नाम के साथ टिप्पणी के द्वारा दे दी जाएगी!
सार्वजनिक पहचान प्रदर्शित करनेवाले सभी व्यक्ति
इस गतिविधि में प्रतिभाग कर सकते हैं!
इस संबंध में "सरस पायस" के संपादक का निर्णय अंतिम रूप से मान्य होगा!
इस गतिविधि में प्रतिभाग करने के लिए अन्य कोई प्रतिबंध नहीं है!


12 comments:


महामंत्री - तस्लीम ने कहा…

बहुत अच्छा प्रयास है। बधाई। -Zakir Ali ‘Rajnish’ { Secretary- TSALIIM / SBAI }


ज्योति सिंह ने कहा…

phoolo se badhkar sukumari ,nanhi gudiya badi pyari .gum-sum si ghoonghat ye dale ,kin khayalo me khoyi dulari .aangan ki ye nanhi chidiya ,kuchh to bikhero muskan pyari .tumahare madhur muskan se ,mahke ye duniya hamari .


रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

ज्योति सिंह जी द्वारा रचित पहला गीत प्राप्त हो गया है!


डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक ने कहा…

इतनी जल्दी क्या है बिटिया, सिर पर पल्लू लाने की। अभी उम्र है गुड्डे-गुड़ियों के संग, समय बिताने की।। मम्मी-पापा तुम्हें देख कर, मन ही मन हर्षाते हैं। घूँघट वाली मान्या का, वे चित्र ब्लाग पर पाते हैं।। जब आयेगा समय सुहाना, देगे हम उपहार तुम्हें। तन मन धन से सब सौगातें, देगे बारम्बार तुम्हें।। रवि ने आमन्त्रण भेजा है, गीत रचो अपने मन का। लगता है बादल में से, ज्यों चाँद झाँकता पूनम का।।


रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

इस चित्र को देखकर रचा गया दूसरा गीत भीप्राप्त हो गया है! इसके रचनाकार हैं - डॉ. रूपचंद्र शास्त्री मयंक जी!


sidheshwer ने कहा…

साड़ी की छतरी बनी सिर पर लिया तान. बची रहो तुम धूप से बनी रहे मुस्कान.


रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

मान्या के इस चित्र द्वारा रचवाया गया तीसरा गीत सिद्धेश्वर जी की लेखनी से प्राप्त हुआ है!


रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

इस गतिविधि में प्रतिभाग करने की समय-सीमा एक सप्ताह के लिए और बढ़ा दी गई है! अर्थात् अब आप अपनी रचनाएँ 24.05.2009 की मध्य-रात्रि तक भेज सकते हैं! इसके बाद समय-सीमा नहीं बढ़ाई जाएगी!


शशिभूषण बडोनी ने कहा…

रवि जी, यहाँ तक पहुँचने में देर हो गई!


Saras Paayas ने कहा…

Manya is looking very attractive in this look.


रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

कोई बात नहीं, बडोनी जी! यह गीत-रचन तो चलता ही रहेगा! अगली बार सबसे पहले पहुँच जाइएगा!


रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

कल दिनांक : 29.05.2009 से इस गतिविधि का परिणाम घोषित किया जाने लगेगा! ---------------------- अत: आज कुछ देर पहले प्रतिभागियों की रचनाओं से युक्त टिप्पणियों को प्रकाशित कर दिया गया है, ताकि यह अनुमान लगाया जा सके कि किसको कौन-सा स्थान मिलेगा! ---------------------- (संपादक : सरस पायस) ----------------------

सरस-पहेली : तीन : का हल

सरस-पहेली : तीन : का हल

सरस-पहेली : तीन : का हल
सरस-पहेली : तीन : रावेंद्रकुमार रवि

इस सब्जी का रंग बैंगनी,
कुछ
कहते हैं इसको भाँटा!

इसका
असली नाम बता दो
,

वरना
पड़ सकता है चाँटा!

सरस-पहेली : तीन : का सही उत्तर गया है!
फ़ोटो देखकर आप भी समझ ही गए होंगे!

"बैंगन"

जी
, हाँ! बिल्कुल सही!

- सही उत्तर भेजनेवाली हैं -
-
- विधु --
विधु दुबे
क्राइस्ट ज्योति सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सतना .प्र.
में कक्षा - आठ की छात्रा हैं!
इन्हें रावेंद्रकुमार रवि की पुस्तक
"वृत्तों की दुनिया"

उपहार में भेजी जा रही है।
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शुभम् और प्रांजल ने भी इस पहेली का सही उत्तर भेजा!
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ऐसे भी होते हैं बैंगन
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और यह है बैंगन का फूल
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सरस-पहेली : चार :
रविवार, दिनांक : 02.08.2009 को सुबह 5 बजे
प्रकाशित की जाएगी।

7 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक ने कहा…

सही उत्तर भेजनेवाली विधु दुबे को हार्दिक बधाई।

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

बधाई हो विधु...

Dhruvraj ने कहा…

विधु को बहुत बधाई ... ..

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक ने कहा…

बैंगनों की छवियाँ मनमोह्क हैं,
थाली में सजाने का मन कर रहा है।
सरस पायस पर यह मेरी 51वीं टिप्पणी है।

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

आदरणीय मयंक जी,
आपके द्वारा
"सरस पायस" के लिए
की गई हर टिप्पणी अमूल्य है!
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हृदय से आभारी हूँ!
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आशा है -
"सरस पायस" को
आपका स्नेह और आशीष
इसी प्रकार मिलता रहेगा!
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आपको बहुत-बहुत बधाई!
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खेमकरण सोमन ने कहा…

बहुत-बहुत बधाई!

अरविंद राज ने कहा…

बहुत बधाई विधु को!
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