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शुक्रवार, दिसंबर 24, 2010

सबसे प्यारी तुम : रावेंद्रकुमार रवि की नई कविता

सबसे प्यारी तुम



उछलते, कूदते,
दौड़ते, भागते, खेलते,
किलकारियाँ भरते,
खिलखिलाते, मुस्कराते,
चहचहाकर बात करते -
प्यारे-प्यारे बच्चे

और
उन सब में
सबसे प्यारी तुम
सजी-सँवरी
रेशमी परिधान में

दौड़ती हो जब
पकड़ने तितलियों को
छम-छमाछम की
तरंगें छेड़कर,
याद आता है मुझे -
बचपन मेरा!

रावेंद्रकुमार रवि

(यह कविता मैंने 10 अगस्त 1988 को
एक 5 साल से छोटी लड़की "चीनू" के लिए रची थी!
अब वह कहाँ होगी? कैसी होगी? कुछ पता नहीं!)

2 टिप्‍पणियां:

Kunwar Kusumesh ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति

बेनामी ने कहा…

आपकी जीती जागती सजीव रचना बहुत सुन्दर रही!
पढ़कर मुझे भी अपना बचपन याद आ गया!

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