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शनिवार, दिसंबर 25, 2010

परिणाम : (प्रथम भाग) : आओ, मन का गीत रचें - एक

परिणाम : (प्रथम भाग) : आओ, मन का गीत रचें - एक

आओ, मन का गीत रचें - एक

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परिणाम : (प्रथम भाग) : आओ, मन का गीत रचें - एक
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बिखरा दो मुस्कान ज़रा तुम
स गतिविधि में प्रतिभाग करके
अपने "मन का गीत" रचनेवाले जिन रचनाकार को
सबसे पहले बधाई दी जा रही है, उनका नाम है -

--- :: (( ज्योति सिंह )) :: ---


उनके द्वारा मान्या के फ़ोटो को देखकर रची गई कविता को
तृतीय
स्थान
पर रखा गया है!
ःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःः
फूलों से बढ़कर सुकुमारी,
तुम हो नन्ही गुड़िया प्यारी!
गुमसुम-सी घूँघट यूँ डाले,
ख़्यालों में खो गई दुलारी!

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घर-आँगन की नन्ही चिड़िया,
कहाँ गई मुस्कान तुम्हारी?
बिखरा दो मुस्कान ज़रा तुम,
महके दुनिया ख़ूब हमारी!

ःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःः
इस कविता को यहाँ प्रकाशित करने से पहले
इसमें आवश्यक संपादन किया गया है!
रोमन लिपि में टंकित मूल कवितायुक्त टिप्पणी को
यथास्थान
प्रकाशित किया जा चुका है!
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ज्योति जी "काव्यांजलि" नामक एक ब्लॉग भी संचालित करती हैं!
"काव्यांजलि" पर क्लिक् करके उनकी अन्य रचनाओं को पढ़ा जा सकता है!
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"भविष्य में होनेवाली इस गतिविधि के आगामी चरणों में वे इससे उच्च स्थान पाएँ!"
- इसके लिए उन्हें हार्दिक शुभकामनाएँ!
-
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30.05.09 को द्वितीय और 31.05.09 को
प्रथम स्थान घोषित किया जाएगा!
01।06।09 और 02।06।09 को इससे संबंधित
विशेष रचनाएँ प्रकाशित की जाएँगी!

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---- : (( संपादक : सरस पायस )) : ----


12 comments:



Udan Tashtari ने कहा…

बधाई हमारी तरफ से.


डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक ने कहा…

ज्योति सिंह जी को बहुत-बहुत बधाई।


संगीता पुरी ने कहा…

बहुत बहुत बधाई।


Nirmla Kapila ने कहा…

हमारी तरफ से भी ज्योति सिंह जी को बधाई और आपका आभार


Prem Farrukhabadi ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना रची घर-आँगन की नन्ही चिड़िया, कहाँ गई मुस्कान तुम्हारी? बिखरा दो मुस्कान ज़रा तुम, महके दुनिया ख़ूब हमारी!


सग़ीर अशरफ़ ने कहा…

बहुत-बहुत मुबारक़ हो.


जमीला सग़ीर ने कहा…

शानदार गीत लिखा है सुंदर गुड़िया की सुंदर चाची ने. बधाई.


खेमकरण ने कहा…

ज्योतिर्मय बधाई।


Saras Paayas ने कहा…

I cogratulate you for this good poem.


शशिभूषण बडोनी ने कहा…

ज्योति जी की कविता और रवि जी का प्रस्तुतीकरण, दोनों सुंदर हैं। दोनों को मेरी ओर से बधाई।


रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

ज्योति जी ने बहुत बढ़िया फूलों के गुच्छे के साथ धन्यवाद कहा है! बाद में गुलदस्ता भी दिखाऊँगा, पहले यह पढ़िए कि हम सब के लिए उन्होंने क्या कहा है - "आपने मुझे इस सम्मान के काबिल समझा, इसके लिए मैं तहे दिल से शुक्रिया अदा करती हूँ और उन सभी लोगो को धन्यवाद देती हूँ, जिन्होंने मुझे सराहा। यह सब आप की वज़ह से संभव हुआ|"


sidheshwer ने कहा…

रवि जी , ज्योति सिंह जी की सुंदर कविता और इस अवसर पर बहुत - बहुत बधाई !

कोई टिप्पणी नहीं:

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