"सरस पायस" पर सभी अतिथियों का हार्दिक स्वागत है!

शनिवार, सितंबर 25, 2010

ओ मेरी प्यारी बहना : रावेंद्रकुमार रवि का बालगीत

ओ मेरी प्यारी बहना!

(बड़े भाई "सरस पायस" की तरफ से "ओजस्वी रुनझुन" के लिए)

ओ मेरी प्यारी बहना,
तुम हर पल हँसती रहना!


हर पल मस्ती से भरकर,
बगिया के सुंदर-सुंदर,
फूलों की तरह सरसना!
तुम हर पल हँसती रहना!


अपनी मीठी किलकारी,
हम सबके मन में भरना!
बनकर ख़ुशियों का झरना,
तुम हर पल हँसती रहना!


सुन माँ की प्यारी बतियाँ,
चिड़िया की तरह फुदकना!
माँ की गोदी का गहना,
तुम हर पल हँसती रहना!


मंदिर से आनेवाली,
ख़ुशबू की तरह महकना!
हम सबके मन की नयना,
तुम हर पल हँसती रहना!


♥♥ रावेंद्रकुमार रवि ♥♥

11 टिप्‍पणियां:

राजभाषा हिंदी ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
साहित्यकार-बाबा नागार्जुन, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति.धन्यवाद

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

रुनझुन बहुत प्यारी लग रही हो!
--
तुम्हारे ताऊ जी ने तो बहुत सुन्दर कविता रची है!

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

प्यारी-प्यारी रुनझुन के लिए न्यारी-न्यारी कविता...सुन्दर लगी.
_________________________
'पाखी की दुनिया' में- डाटर्स- डे पर इक ड्राइंग !

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

प्यारा सा बालगीत और बहुत ही प्यारी सी रुनझुन..... वेरी क्यूट

रंजन ने कहा…

वाह.. बहुत सुन्दर तस्वीरे. और बहुत सुन्दर बोल..

रानीविशाल ने कहा…

प्यारी प्यारी रुनझुन को ढ़ेर सारा प्यार .
दुर्गाष्टमी और दशहरे की शुभकामनाएँ
नन्ही ब्लॉगर
अनुष्का

संजय भास्‍कर ने कहा…

वेरी क्यूट

Sharda Monga ने कहा…

आप का प्रयास प्रशंसनीय है:
"मैं बचपन को ढूंड रही थी
बचपन बिटिया बन आया
बिटिया को बुलाया मैंने
बचपन दौड़ कर आया
मैंने देखा कि वह तो
मिटटी खा कर आई थी
कुछ खा कर कुछ लिए हाथ में
मुझे खिलने आई थी
वह बोली लो माँ काओ
मैंने कहा नहीं तुम्हीं खाओ"

Jaijairam anand ने कहा…

ओ मेरी बहना / तुमसे कुछ कहना/ तुम कोमल टहनी/पैजनीऑ पहनी/बजती है छम छम/गम भेजे गम गम/ओह ना सुनना/ तुमसे कुछ कहना

Jaijairam anand ने कहा…


ओ बहना सुनना/ तुमसे कुछ कहना
सखी सहेली हेरे/ मिलजुल सब टेरे
ऐसा तुम नचना/नाचे घर अगना
ऐसा तुम गुनना/ओ मेरी बहना

Related Posts with Thumbnails

"सरस पायस" पर प्रकाशित रचनाएँ ई-मेल द्वारा पढ़ने के लिए

नीचे बने आयत में अपना ई-मेल पता भरकर

Subscribe पर क्लिक् कीजिए

प्रेषक : FeedBurner

नियमावली : कोई भी भेज सकता है, "सरस पायस" पर प्रकाशनार्थ रचनाएँ!

"सरस पायस" के अनुरूप बनाने के लिए प्रकाशनार्थ स्वीकृत रचनाओं में आवश्यक संपादन किया जा सकता है। रचना का शीर्षक भी बदला जा सकता है। ये परिवर्तन समूह : "आओ, मन का गीत रचें" के माध्यम से भी किए जाते हैं!

प्रकाशित/प्रकाश्य रचना की सूचना अविलंब संबंधित ईमेल पते पर भेज दी जाती है।

मानक वर्तनी का ध्यान रखकर यूनिकोड लिपि (देवनागरी) में टंकित, पूर्णत: मौलिक, स्वसृजित, अप्रकाशित, अप्रसारित, संबंधित फ़ोटो/चित्रयुक्त व अन्यत्र विचाराधीन नहीं रचनाओं को प्रकाशन में प्राथमिकता दी जाती है।

रचनाकारों से अपेक्षा की जाती है कि वे "सरस पायस" पर प्रकाशनार्थ भेजी गई रचना को प्रकाशन से पूर्व या पश्चात अपने ब्लॉग पर प्रकाशित न करें और अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित न करवाएँ! अन्यथा की स्थिति में रचना का प्रकाशन रोका जा सकता है और प्रकाशित रचना को हटाया जा सकता है!

पूर्व प्रकाशित रचनाएँ पसंद आने पर ही मँगाई जाती हैं!

"सरस पायस" बच्चों के लिए अंतरजाल पर प्रकाशित पूर्णत: अव्यावसायिक हिंदी साहित्यिक पत्रिका है। इस पर रचना प्रकाशन के लिए कोई धनराशि ली या दी नहीं जाती है।

अन्य किसी भी बात के लिए सीधे "सरस पायस" के संपादक से संपर्क किया जा सकता है।

आवृत्ति