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गुरुवार, सितंबर 02, 2010

मेरा मीत : रावेंद्रकुमार रवि का नया शिशुगीत


♥♥ मेरा मीत ♥♥

सबके मन को लेता जीत,
मेरा कान्हा, मेरा मीत!



मुरली की धुन मधुर बजाकर,
ख़ूब सुनाता मीठे गीत!

मेरा कान्हा, मेरा मीत!

जो भी साथ खेलता इसके,
उसकी हरदम होती जीत!

मेरा कान्हा, मेरा मीत!

माखन इसे बहुत भाता है,
सबसे अच्छी इसकी प्रीत!

मेरा कान्हा, मेरा मीत!

रावेंद्रकुमार रवि
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(चित्र में : सरस पायस और गरिमा रुबाली, जब वे नर्सरी में पढ़ते थे, 1999)
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11 टिप्‍पणियां:

Asha Joglekar ने कहा…

जन्माष्टमी के अवसर पर सुंदर शिशुगीत ।

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत उम्दा!

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये

राजभाषा हिंदी ने कहा…

बहुत अच्छा शिशुगीत!
हिन्दी भारत की आत्मा ही नहीं, धड़कन भी है। यह भारत के व्यापक भू-भाग में फैली शिष्ट और साहित्यिक भषा है।

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

श्री कृष्ण-जन्माष्टमी पर सुन्दर प्रस्तुति...ढेर सारी बधाइयाँ !!
________________________
'पाखी की दुनिया' में आज आज माख्नन चोर श्री कृष्ण आयेंगें...

निर्मला कपिला ने कहा…

सुन्दर गीत। आपको श्री कृष्ण जन्म आष्टमी की मंगल कामनायें

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत सुन्दर गीत ....कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर वाल गीत जी, धन्यवाद
कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ

मनोज कुमार ने कहा…

सरस गीत!
आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को श्री कृष्ण जन्म की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर यह शिशुगीत बहुत अच्छा लगा!

डॉ. देशबंधु शाहजहाँपुरी ने कहा…

बहुत सुन्दर शिशु गीत और सुन्दर चित्र है। आपको सुन्दर सम्पादन और जन्माष्टमी की बधाई

Ashish (Ashu) ने कहा…

अति सुंदर रचना जी धन्यवाद

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