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15 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर.
आपका बालगीत बहुत सुन्दर है!
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माँ के हैं उपकार बहुत
वो क.ख.ग. सिखलाती है!
उँगली पकड़ लाल की
वो ही तो चलना सिखलाती है!
बहुत बेहतरीन!!
सुन्दर । वीडियो गेम में उलझे बच्चों के लिए ऐसी रचनाएँ उन्हें बचपन के करीब तो रखेंगी ही, अपने परिवेश से भी जोड़े रखेंगी।
शीर्षक का चित्र बहुत अच्छा लगा।
bahut sundar kavita...
रंजन जी की टिप्पणी का हिंदी अनुवाद - "आकर्षक!"
हमारे घर में अक्सर यह देखने को मिलता है, काफी बार कबूतर हमारे घर में घोंसले बना लेंते है व अण्डें दे देते है । एक सुखद अनुभव होता है व खुशी है जो बच्चों को किताबो में ही पढ़ने को मिलता है उसे अपनी आँखों से देख रहे है व उसका अनुभव ले रहे है।
शुभम् जैन जी की टिप्पणी का लिप्यांतरण -
"बहुत सुंदर कविता!"
कितना सुन्दर है यह बालगीत.....पढते पढते सारा दृश्य आँखों के सामने आ गया....रावेंद्र जी को बधाई
Bau jee,
Ho sakta hai ke aap comment hata de, roman me jo hai!
Lekin geet mujhe pasand aaya.....
Bhavishya mein apne baccho ke saath aaya karunga.....
Ha ha ha ha!
रावेन्द्र जी, बहुत खूबसूरत बालगीत है आपका---चित्र भी बहुत सुन्दर लगाया है आपने।हार्दिक बधाई।
हेमंत जी,
यह मेरे परिवार का सौभाग्य है,
जो इन नन्हे चूज़ों के माता-पिता ने
अपना घर मेरे घर में बनाया!
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इनके कुछ और सुंदर फ़ोटो
मैं समय-समय पर आप सबको दिखाता रहूँगा!
आशीष जी की टिप्पणी का लिप्यांतरण -
बाउ जी,
हो सकता है कि आप कमेंट हटा दें, रोमन में जो है!
लेकिन गीत मुझे पसंद आया ........
भविष्य में अपने बच्चों के साथ आया करूँगा ......
हा हा हा हा!
भाई रवि,आपका गीत नन्हे बच्चों जैसा ही मासूम और प्यारा है ।मुझे वे दिन याद आगये जब मेरे आँगन में बुलबुल ने घोंसला बनाया और मेरी कई कविताओं व एक कहानी का जन्म हुआ ।निरीक्षण में ऐसी कोमलता व गहनता बनी रहे ,बढती रहे मेरी कामना है ।
मैं भी तो पाखी हूँ...
प्यारा लगा यह बाल गीत और 'पाखी' तो बहुत प्यारी लगी.
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