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शनिवार, दिसंबर 25, 2010

परिणाम (द्वितीय भाग) : आओ मन का गीत रचें - दो

परिणाम (द्वितीय भाग) : आओ मन का गीत रचें - दो

आओ, मन का गीत रचें - दो

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परिणाम : (द्वितीय भाग) : आओ, मन का गीत रचें - दो
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मचल रही है जीभ
स गतिविधि में प्रतिभाग करके
अपने "मन का गीत" रचनेवाले जिन रचनाकार को
अब बधाई दी जा रही है, उनका नाम है -

--- :: (( डॉ रूपचंद्र शास्त्री "मयंक" )) :: ---



उनके द्वारा ख़ुशाल के फ़ोटो को देखकर रची गई कविता को
प्रथम
स्थान
पर रखा गया है!
मयंक जी को लगा कि ख़ुशाल "सरस पायस" के घर आया है!
ःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःः
ओंठों पर मुस्कान सजाए,
आया हूँ मैं द्वार तुम्हारे!
अंकल, मुझे दिला दो सारे,
रंग-बिरंगे ये गुब्बारे!!
पायस भइया जब आएँगे,
मुझे घुमाने ले जाएँगे!

ठंडी कुल्फी, खट्टी-मीठी
टॉफी मुझको दिलवाएँगे!!
मचल रही है जीभ, आंटी!
मुझे पिला दो जी, माजा!
मम्मी से छुपकर आया हूँ,
जल्दी से खोलो दरवाजा!!

( प्रतिमान : ख़ुशाल और सरस पायस )

ःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःः
इस कविता को यहाँ प्रकाशित करने से पहले
इसमें आवश्यक संपादन किया गया है!
मूल कवितायुक्त टिप्पणी को
यथास्थान
प्रकाशित किया जा चुका है!
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"भविष्य में होनेवाली इस गतिविधि के आगामी चरणों में भी वे सर्वोच्च स्थान पाएँ!"
- इसके लिए उन्हें हार्दिक शुभकामनाएँ!
-
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01.10.09 को इससे संबंधित
संपादक की रचना प्रकाशित की जाएगी!

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---- : (( संपादक : सरस पायस )) : ----


3 comments:

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Babli ने कहा…

वाह वाह! कुल्फी देखकर तो मुहँ में पानी आ गया! बहुत ही ख़ूबसूरत तस्वीरों के साथ आपने प्रस्तुत किया है जो प्रशंग्सनीय है!

Nirmla Kapila ने कहा…

मयंक जी को बहुत बहुत बधाई तस्वीरें और कविता दोनो बहुत सुन्दर है और मयंक जी की रचनायें तो वैसे भी बहुत बडिया होती हैं आभarा

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