मंगलवार, जुलाई 19, 2011
'सावन' गाता मौसम आया : रावेंद्रकुमार रवि की बालकविता
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"सरस पायस" बच्चों के लिए अंतरजाल पर प्रकाशित पूर्णत: अव्यावसायिक हिंदी साहित्यिक पत्रिका है। इस पर रचना प्रकाशन के लिए कोई धनराशि ली या दी नहीं जाती है।
अन्य किसी भी बात के लिए सीधे "सरस पायस" के संपादक से संपर्क किया जा सकता है।
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7 टिप्पणियां:
सावन की रिमझिम में भीगी मोहक कविता। इसे पढ़कर बचपन की एक कविता याद आ रही है जिसकी पंक्तियां कुछ इस प्रकार हैं, ''अम्मा जरा देख तो ऊपर चढ़े आ रहे हैं बादल। गरज रहे हैं, बरस रहे हैं दीख रहा है जल ही जल।''
सुंदर पक्तियाँ
रवि अंकल, बहुत सुन्दर कविता है थैंक्यू!
घनश्याम अंकल ने जिस कविता की बात की है ना(अम्मा ज़रा देख तो ऊपर....) ये कविता मुझे भी बहुत अच्छी लगती है, मम्मी बरिश के मौसम में ये कविता हमें सुनाती है....
सावन की फुहारों-सा गीत....
बहुत सुन्दर ऋतु के अनुकूल वाल कविता!
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आपकी प्रवि्ष्टी की चर्चा कल बुधवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल उद्देश्य से दी जा रही है!
सुन्दर अहसास
वाह, कित्ता सुन्दर गीत..सावन तो अच्छा लगता है मुझे.
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