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शुक्रवार, मार्च 19, 2010

मेरी शोभा प्यारी है : रावेंद्रकुमार रवि का नया बालगीत


मेरी शोभा प्यारी है!

मैं गुलाब का फूल अनोखा,
मेरी शोभा प्यारी है!

मेरे आगे फीकी सारे,
रंगों की पिचकारी है!
मुझको पाकर सरसा करती,
बगिया की हर क्यारी है!
मैं गुलाब का ... ... .

मेरे अंदर ख़ुशबू बढ़िया,
सुंदरता भी सारी है!
जो बन पाता मेरे-जैसा,
उसकी महिमा न्यारी है!
मैं गुलाब का ... ... .

मैं जब खिलता हूँ मुस्काकर,
सज जाती फुलवारी है!
मेरे-जैसी बस दुनिया में,
बच्चों की किलकारी है!
मैं गुलाब का ... ... .

रावेंद्रकुमार रवि
रा मा वि ,चारुबेटा खटीमा,ऊधमसिंहनगर, उत्तराखंड (भारत)
08 comments:

आपका प्रयास सार्थक है। बाघ पर लिखी आपकी कविता बहुत हीं सुन्दर है। आपकी कविता को मैने सहेज लिया है, जैसे ही उचित समय आयेगा इसे मै अवश्य अपने ब्लॉग पर प्रकाशित करूँगा। एक निवेदन है कि अगर कविता छोटी हो भेंजें, मुझे प्रकाशित करने में प्रसन्नता होगी।


प्यारे दोस्तो, प्रेम भाई साहब जिस कविता का उल्लेख कर रहे हैं, वह हाल ही में रचनाकार पर प्रकाशित हुई है। इसे पढ़ने के लिए इस लिंक से जा सकते हैं - http://rachanakar.blogspot.com/2009/02/blog-post_2460.html


मैं गुलाब हूँ, मेरी आभा, सब फूलों से न्यारी है। उपवन मेरे बिन सूना है, मेरी खुशबू प्यारी है। चाचा नेहरू की अचकन में, मै ही स्वयं विराजा हूँ। प्रणय-निवेदन का संकेतक, मैं पुष्पों का राजा हूँ। मैं उच्चारण हूँ पायस का, मैं रवि के मन को भाया। मन्दिर प्रतिमाओं के ऊपर, सबने मुझको बैठाया।

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

मयंकजी, मानना पड़ेगा - आपकी मिसाल मिलना बहुत मुश्किल है! आपकी टिप्पणियाँ "सरस पायस" में चार चाँद लगा देती हैं!

संगीता पुरी ने कहा

बहुत सुदर वर्णन किया आपने.... गुलाब की खूबसूरती और खुश्बू का।

guddo ने कहा...

रावेन्द्र कुमार जी आशीर्वाद आपकी नई कविता सरस पायस में पड़ी तो यही शब्द निकले वाह वाह किया पीड़ा का वर्णन है मेरी शोभा प्यारी है महक रही फुलवारी जो विश्व में सबसे न्यारी मैं दिल हूँ इक अरमान भरा मेरे दिल की दौलत की आगे तेरे फसाने कुछ भी नहीं दिल प्यार में इतना डूबा और दुखी था की आसमान भी बादलों का रो पडा

रंजन ने कहा…
बहुत प्यारे शब्द.. बहुत सु्न्दर..

गिरिजा कुलश्रेष्ठ ने कहा…
भाई रवि तुम्हारी 'शोभा' सच मुच प्यारी है| उसकी सुन्दरता 'सरस पायस' में दिख जो रही है|

9 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

काँटों की शैय्या पर भी कोमल गुलाब मुस्काता!
पर मानव मन कितना दुर्बल दुःख देख घबराता!!

बहुत सुन्दर बाल गीत है!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

खुशबू भरी प्यारी बाल कविता....सुन्दर अभिव्यक्ति

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति।

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर कविता धन्यवाद

शरद कोकास ने कहा…

बहुत सुन्दर गीत मैने गुलाब को यही गीत गाते सुना है ..।

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar ने कहा…

मैं जब खिलता हूँ मुस्काकर,
सज जाती फुलवारी है!
मेरे-जैसी बस दुनिया में,
बच्चों की किलकारी है!
रावेन्द्र जी,बहुत सुन्दर बालगीत---अपने अन्दर गुलाब की खुशबू समाहित किये हुये। हार्दिक बधाई। हिन्दी राइटर की गड़बड़ी के कारण टिप्पणी फ़िर से लिखनी पड़ी।

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

मेरे आगे फीकी सारे,
रंगों की पिचकारी है!
कितनी सच्ची बात! सच है, बगिया में गुलाब हो तो और किसी फूल की ओर ध्यान ही नही जाता. सुन्दर.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

बहुत सुन्दर बाल-गीत.

----------------------
"पाखी की दुनिया" में इस बार पोर्टब्लेयर के खूबसूरत म्यूजियम की सैर

Paise Ka Gyan ने कहा…

Group discussion in Hindi
Brain in Hindi
Satellite in Hindi
Calibration in Hindi
Non Metals in Hindi
RTO Code in Hindi
Jantar Mantar in Hindi

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