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बुधवार, सितंबर 29, 2010

बेटी की मुस्कान बहुत प्यारी होती है : सरस चर्चा (15)

आज मैं आपको मिलवाने जा रहा हूँ,
कुछ प्यारी-प्यारी बेटियों से -
यह भी सच मानते हुए कि
बेटियों की मुस्कान इस दुनिया में सबसे अच्छी होती है!
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यह है : सरस पायस की बहन : ओजस्वी रुनझुन!
सरस पायस का कहना है -

हर पल मस्ती से भरकर,
बगिया के सुंदर-सुंदर,
फूलों की तरह सरसना!
तुम हर पल हँसती रहना!


यह है : पंखुरी, जो अपने-जैसी सभी बेटियों को शुभकामनाएँ दे रही है!


अक्षिता पाखी ने अपने इस चित्र में किस-किसको बनाया है?
ज़रा पहचानिए तो ... ... ... ... .


अनुष्का के मस्ती के दिन कैसे-कैसे शुरू हुए?
यह जानने के लिए तो उसके कुछ और फ़ोटो भी देखने होंगे!


अब देखते हैं कि नन्ही परी इशिता की क्षमा-वाणी
हम सबसे क्या विनती कर रही है?


26 सितंबर का दिन बेटियों के लिए बहुत ख़ास है!
इस दिन पूरी दुनिया में "बालिका-दिवस" मनाया जाता है!
इस बारे में और अधिक जानने के लिए मिलिए मानसी से!


नन्हे-मुन्नों की नादानियों को आप हँसी में उड़ाते हैं!
उनकी शरारतों को बचपना कहकर टाल देते हैं!
पर आप भूल रहे हैं कि धीरे-धीरे वे आपको उँगलियों पर नचाने लगे हैं!
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लविज़ा बता रही है अपने-जैसे नन्हे-मुन्नों के बारे में छ: रहस्य!



हम भी बनाने लगे कहानी : कहना है अक्षयांशी का!
चलिए सुनते हैं चलकर उसकी कहानी, उसी की ज़बानी!


चुलबुली आपको बढ़िया-बढ़िया चित्र बनाकर दिखा रही है!
चलिए चलें देखने : उसके चित्रों का नयापन!


क्या आप आदित्या को जानते हैं?
ज़रा देखिए तो यह अपनी कक्षा के बच्चों के साथ क्या कर रही है!
बैंकॉक, थाईलैंड में अपने साथियों को कुछ सिखा भी रही है!


और यह रही माधवी! इसकी तो हर अदा निराली है!
आजकल इसको पढ़ने में बहुत मज़ा आ रहा है!


चैतन्या की बातें भी एकदम निराली हैं : बिल्कुल चैतन्या की तरह!
कैलगैरी, कनाडा में शुरू हुए पतझर में रंग बदलते पत्तों के बारे
यह आपको बहुत रोचक जानकारी दे रही है : एक अनोखे अंदाज़ में!


मेरी तरफ से इन सभी को असीम स्नेह और आशीष!

रावेंद्रकुमार रवि
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सोमवार, सितंबर 27, 2010

सब्जी ले लो, सब्जी : स्पर्श की कुछ मज़ेदार बातें

सब्जी ले लो, सब्जी!

आलू ले लो, प्याज ले लो,
बैंगन ले लो, गोभी ले लो,
सब्जी ले लो, सब्जी!

हरे-हरे मटर ले लो,
लाल-लाल टमाटर ले लो,
सब्जी ले लो, सब्जी!

अरे-अरे! बालश्रम तो अच्छी बात नहीं है!
फिर यह स्पर्श इतनी ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाकर सब्जी क्यों बेच रहा है?

- आपको नहीं पता, तो जान लीजिए -
अपना स्पर्श बहुत अच्छा कलाकार भी है!

वह बहुत अच्छा अभिनय कर लेता है!
यह झलकी भी उसके बेहतरीन अभिनय की ही है!

एक आकर्षक परिधान प्रतियोगिता में वह
गली-गली घूमनेवाले एक सब्जी-विक्रेता की भूमिका निभा रहा है!


उसे चित्रकारी करने का बहुत शौक़ है!
देखिए कितना तल्लीन होकर चित्र बनाता है!


वह कितने सुंदर चित्र बनाता है,
उसका एक सुंदर नमूना यह देखिए!


यह देखिए स्पर्श का मनपसंद घर!
यह भी उसने ख़ुद ही बनाया है!


किताबें पढ़ना भी उसे बहुत पसंद है!
बाज़ार से घर लौटने तक वह एक-दो किताबें तो पढ़ ही डालता है!


१५ अगस्त को उसने यह टोपी और झंडा बनाया था!
टोपी पर उसने वंदे मातरम् भी लिखा था!
देखिए, कितना अच्छा है!


उसकी एक बहुत अच्छी दोस्त भी है!
शिमला की एक सुहानी शाम में
अपनी दोस्त चुलबुल के साथ उसकी चहलक़दमी देखिए!


स्पर्श की अंबिका मैम उसे बहुत अच्छा मानती हैं!


जब वह नन्हा था, तो ऐसे खिलखिलाता था!


और अब 5 साल की अवस्था में ऐसे मुस्काराता है!


चलते-चलते स्पर्श का एक नाच भी देख लेते हैं!

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शनिवार, सितंबर 25, 2010

ओ मेरी प्यारी बहना : रावेंद्रकुमार रवि का बालगीत

ओ मेरी प्यारी बहना!

(बड़े भाई "सरस पायस" की तरफ से "ओजस्वी रुनझुन" के लिए)

ओ मेरी प्यारी बहना,
तुम हर पल हँसती रहना!


हर पल मस्ती से भरकर,
बगिया के सुंदर-सुंदर,
फूलों की तरह सरसना!
तुम हर पल हँसती रहना!


अपनी मीठी किलकारी,
हम सबके मन में भरना!
बनकर ख़ुशियों का झरना,
तुम हर पल हँसती रहना!


सुन माँ की प्यारी बतियाँ,
चिड़िया की तरह फुदकना!
माँ की गोदी का गहना,
तुम हर पल हँसती रहना!


मंदिर से आनेवाली,
ख़ुशबू की तरह महकना!
हम सबके मन की नयना,
तुम हर पल हँसती रहना!


♥♥ रावेंद्रकुमार रवि ♥♥

गुरुवार, सितंबर 23, 2010

मैं हूँ किशन कन्हइया : शुभम् सचदेव की शिशुकविता

मैं हूँ किशन कन्हइया


करता माखन चोरी,
सुनता मीठी लोरी!

मुरली मधुर बजाता,
गइया रोज़ चराता!


मैं हूँ किशन कन्हइया,
यशुदा मेरी मइया!

मुझे प्यार से जो पुकारता,
मैं उसका हो जाता!


♥♥ शुभम् सचदेव ♥♥
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चित्रों में हैं : शुभम् सचदेव अपनी दोस्त ऋतिका के साथ
और उनकी छायाकार हैं, उनकी माँ : सीमा सचदेव
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मंगलवार, सितंबर 21, 2010

मन को भाने नए दोस्तों का दिन आया : सरस चर्चा (14)

आइए शुरू करते हैं -
इस बार की सरस चर्चा, एक सरस सुहानी से!
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ज़रा सुनिए तो -
यह नन्ही-प्यारी गुड़िया क्या कह रही है?
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यह कह रही है -
मेरी प्यारी मम्माँ, आप बहुत अच्छी हो!


इस नन्ही दोस्त का नाम है - अनुष्का!
प्यार से सब इसे "ईवा" कहते हैं!
यह दिखा रही है - हम सबको अपनी पहली मुस्कान!


अनुष्का अब इतनी नन्ही भी नहीं है!
थोड़ी-सी बड़ी हो गई है!
तीन साल की इस अनुष्का की मुस्कान भी कम मनमोहक नहीं है!


सेन डिएगो में इतनी बड़ी व्हेल मछली
शामू को देखकर अनुष्का को बहुत आश्चर्य हुआ!
वहाँ उसने पेंग्विन और डॉल्फिन मछलियों का प्रदर्शन भी देखा!
क्या आप नहीं देखेंगे?


यह देखिए, आदित्य थाईलैंड, बैंकॉक, सुखुमवित सोई २० पर स्थित
रेस्टोरेंट "सरस" में कैसे गपागप जलेबियाँ उड़ा रहा है -



माधव को भी भूख लगी है!
वह माँ के सुंदर हाथों से बनी स्वादिष्ट पाव-भाजी खाना चाहता है,
पर पापा हैं कि पोज़ पर पोज़ लिए जा रहे हैं!


और यह शुभम् की सुंदर मुस्कान क्या कह रही है,
अपनी दोस्त ऋतिका के साथ -

पिऊँ दूध और खाऊँ मलाई, अच्छी लगती मुझे मिठाई!
थोड़ा-थोड़ा बढ़ता जाता, हर दिन हीरो बनता जाता!


इस बार मुझे एक और नन्ही दोस्त मिली है : पंखुरी!
इसकी अदाओं के साथ-साथ इसकी बातें भी बहुत प्यारी हैं!
चलिए इन्हें और अधिक जानने के लिए इनके ब्लॉग पर चलते हैं!


एक नन्हा दोस्त भी मिला : चैतन्य!
देखते हैं कि इन्होंने अपनी पहली गणेश चतुर्थी कैसे मनाई!


यह है : स्पर्श का मनपसंद घर!


यह भी देख लीजिए कि यह चित्र चुलबुल ने किस तारीख़ को बनाया है!


हेमंत कुमार द्वारा बच्चों के लिए एक स्वर्ग की रचना भी की गई है!
लेकिन इस स्वर्ग में सबकुछ अँगरेज़ी में होता है!
इस स्वर्ग के कलाकार हैं : श्रेयस सिंह, नित्या शेफाली और नेहा शेफाली!


यह है नित्या शेफाली द्वारा बनाया एक चित्र,
जो उसकी कविता स्वीट बर्ड के साथ लगाया गया है!


श्रेयस सिंह का कुत्ता देखिए, कितना रंग-रँगीला है!


नेहा शेफाली की कविता "हाउ ब्यूटीफुल इज स्काई" भी बहुत बढ़िया है!


प्यारा दोस्त... मिलकर अच्छा लगा,
पर इसके बारे में कुछ लिखिए भी तो सही...
यह कहना है : अक्षिता पाखी का नन्ही पाखी से
उसके इस दोस्त "तनय" के लिए!


अब देखते हैं करमाटाँग समुद्र तट पर अक्षिता पाखी की मस्ती!


देखो तो, कितने मज़े ले-लेकर झूला झूल रही है!


और यह क्या कर रही है?
पेड़ पर चढ़ रही है या पूरा पेड़ ही उखाड़ डालेगी?


रंग-रूप है भूरा-काला, लगता बिल्कुल भोला-भाला!

क्या आप बता सकते हैं कि डॉ.रूपचंद्र शास्त्री मयंक नन्हे सुमन पर
अपनी कविता के माध्यम से किसके बारे में बता रहे हैं!



नन्ही परी मिलवा रही है मुंबई के गणपति बप्पा से!


और अंत में मिलिए "सरस पायस" पर मथुरा से पधारे कन्हइया से
मेरे इस गीत को गुनगुनाते हुए -

♥♥ मथुरा से आए हैं ♥♥


गोपियाँ बनाकर हम
सभी को नचाने!
मथुरा से आए हैं
बाँसुरी बजाने!

♥♥ रावेंद्रकुमार रवि ♥♥

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