"सरस पायस" पर सभी अतिथियों का हार्दिक स्वागत है!

बुधवार, मार्च 31, 2010

मैं भी पढ़ना सीख रही हूँ : आकांक्षा यादव का नया बालगीत


मैं भी पढ़ना सीख रही हूँ


मैं भी पढ़ना सीख रही हूँ,
ताकि पढ़ सकूँ मैं अखबार।

सुबह-सवेरे मेरे द्वार,
हॉकर लाता है अखबार।
कभी नहीं वह नागा करता,
शीत पड़े या पड़े फुहार।
मैं भी ... ... .

दादा जी का हो जाता है,
आते ही पहले अखबार।
चश्मा ऊपर-नीचे करके,
पढ़ते वे दुनिया का सार।
मैं भी ... ... .

समाचार पापा को भाते,
दादी को भाते त्योहार।
मम्मी की पसंद है खाना,
मुझको चित्रों का संसार।
मैं भी ... ... .
आकांक्षा यादव
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सबसे ऊपर चित्र में हैं : पाखी (अक्षिता)

बुधवार, मार्च 24, 2010

जन्म-दिवस पर पाखी के लिए उपहार : रावेंद्रकुमार रवि का नया शिशुगीत

जन्म-दिवस पर पाखी के लिए उपहार

आज मैं अचानक
पाखी की दुनिया में पहुँच गया!
पाखी ने कहा - "देखो मेरी गुड़िया"


फिर बोली -
"इसको भी एक गीत सुनाना!"
मैंने वहाँ बैठी गौरइया को देखकर
एक गीत रचा और सुनाने लगा -
गौरइया जब आती है,
मीठा गीत सुनाती है!
गौरइया जब आती है,
चुग्गा लेकर आती है!
अपने सब चूज़ों के मुँह में,
धरकर इसे खिलाती है! गौरइया जब जाती है,
पाखी से कह जाती है -
ध्यान ज़रा रखना बच्चों का,
अभी लौटकर आती है! गौरइया जब गाती है,
पाखी ख़ुश हो जाती है!
फुदक-फुदककर, चहक-चहककर,
उसको नाच दिखाती है!
आज पाखी का जन्म-दिन भी है!
"जन्म-दिन हो शुभ तुम्हारा!"
कामना यह शुभ हमारी!
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- और यह रही पाखी के द्वारा की गई चित्रकारी -

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रावेंद्रकुमार रवि

शुक्रवार, मार्च 19, 2010

मेरी शोभा प्यारी है : रावेंद्रकुमार रवि का नया बालगीत


मेरी शोभा प्यारी है!

मैं गुलाब का फूल अनोखा,
मेरी शोभा प्यारी है!

मेरे आगे फीकी सारे,
रंगों की पिचकारी है!
मुझको पाकर सरसा करती,
बगिया की हर क्यारी है!
मैं गुलाब का ... ... .

मेरे अंदर ख़ुशबू बढ़िया,
सुंदरता भी सारी है!
जो बन पाता मेरे-जैसा,
उसकी महिमा न्यारी है!
मैं गुलाब का ... ... .

मैं जब खिलता हूँ मुस्काकर,
सज जाती फुलवारी है!
मेरे-जैसी बस दुनिया में,
बच्चों की किलकारी है!
मैं गुलाब का ... ... .

रावेंद्रकुमार रवि
रा मा वि ,चारुबेटा खटीमा,ऊधमसिंहनगर, उत्तराखंड (भारत)
08 comments:

आपका प्रयास सार्थक है। बाघ पर लिखी आपकी कविता बहुत हीं सुन्दर है। आपकी कविता को मैने सहेज लिया है, जैसे ही उचित समय आयेगा इसे मै अवश्य अपने ब्लॉग पर प्रकाशित करूँगा। एक निवेदन है कि अगर कविता छोटी हो भेंजें, मुझे प्रकाशित करने में प्रसन्नता होगी।


प्यारे दोस्तो, प्रेम भाई साहब जिस कविता का उल्लेख कर रहे हैं, वह हाल ही में रचनाकार पर प्रकाशित हुई है। इसे पढ़ने के लिए इस लिंक से जा सकते हैं - http://rachanakar.blogspot.com/2009/02/blog-post_2460.html


मैं गुलाब हूँ, मेरी आभा, सब फूलों से न्यारी है। उपवन मेरे बिन सूना है, मेरी खुशबू प्यारी है। चाचा नेहरू की अचकन में, मै ही स्वयं विराजा हूँ। प्रणय-निवेदन का संकेतक, मैं पुष्पों का राजा हूँ। मैं उच्चारण हूँ पायस का, मैं रवि के मन को भाया। मन्दिर प्रतिमाओं के ऊपर, सबने मुझको बैठाया।

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

मयंकजी, मानना पड़ेगा - आपकी मिसाल मिलना बहुत मुश्किल है! आपकी टिप्पणियाँ "सरस पायस" में चार चाँद लगा देती हैं!

संगीता पुरी ने कहा

बहुत सुदर वर्णन किया आपने.... गुलाब की खूबसूरती और खुश्बू का।

guddo ने कहा...

रावेन्द्र कुमार जी आशीर्वाद आपकी नई कविता सरस पायस में पड़ी तो यही शब्द निकले वाह वाह किया पीड़ा का वर्णन है मेरी शोभा प्यारी है महक रही फुलवारी जो विश्व में सबसे न्यारी मैं दिल हूँ इक अरमान भरा मेरे दिल की दौलत की आगे तेरे फसाने कुछ भी नहीं दिल प्यार में इतना डूबा और दुखी था की आसमान भी बादलों का रो पडा

रंजन ने कहा…
बहुत प्यारे शब्द.. बहुत सु्न्दर..

गिरिजा कुलश्रेष्ठ ने कहा…
भाई रवि तुम्हारी 'शोभा' सच मुच प्यारी है| उसकी सुन्दरता 'सरस पायस' में दिख जो रही है|

गुरुवार, मार्च 11, 2010

सावधानी में ही समझदारी है : राहुल सिंह की एक बाल-चित्रकथा


सावधानी में ही समझदारी है


क्या हुआ?
पढ़ने में परेशानी हो रही है?
ज़रा एक बार चित्रकथा के किसी भी स्थान पर
क्लिक् करके तो देखिए।
अब आप इसे अपने कंप्यूटर में सहेज सकते हैं
और
डेस्कटॉप पर सजाकर भी
पढ़ने और पढ़ाने का आनंद ले सकते हैं।


-- राहुल सिंह --




7 comments:


अनिल कान्त : ने कहा…

बिल्कुल सही कहा ....सावधानी में ही समझदारी है ... मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति


डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक ने कहा…

रावेंद्रकुमार रवि जी! सावधान रहना अच्छा है, सबको है हितकारी। सौ की एक बात है भैया, अच्छी सोच समझदारी। अच्छे केरी-केचर को प्रकाशित करने के लिए धन्यवाद। राहुल सिंह जी को भी मेरी शुभकामनाएँ प्रेषित कर दें।


संगीता पुरी ने कहा…

हमें सावधान तो रहना ही चाहिए...महा शिव रात्रि की बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं..


हरि ने कहा…

सुंदर चित्रकथा। बधाई।


रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

"रसगुल्ला : रावेंद्रकुमार रवि की एक बालकहानी" पर टिप्पणी के साथ creativekona के भाई हेमंत कुमार ने लिखा है - चित्र कथा भी अच्छी है, लेकिन उसके शब्द स्पष्ट नहीं हैं. शायद चित्र को ज्यादा इनलार्ज करने से ऐसा हुआ है. हेमंत भाई एक "चट्का" दीजिए इस चित्रकथा के! कहीं पर भी! फिर देखिए, क्या होता है!


कमलेश जोशी ने कहा…

सरस पायस पर ऐसी चित्रकथा का नियमित प्रकाशन होना ही चाहिए ! मैं इसका स्वागत करता हूँ !


अरविंद राज ने कहा…

चित्र कथा वाला प्रयोग अच्छा है बच्चों की रूचि इस ब्लॉग के प्रति उत्पन्न होगी चित्रकथा को नियमित रूप से प्रकाशित करें अब ये ब्लॉग बाल साहित्य की कसौटी पर खरा उतरने दिशा में बढ़ रहा है स्वागत है

मंगलवार, मार्च 09, 2010

क्या मुझसे डर जाती हो : चंदन कुमार झा का पहला शिशुगीत

क्या मुझसे डर जाती हो?
चिड़िया रानी, चिड़िया रानी,
मुझे सुनाओ अपनी बानी!

जब मैं तुमको पास बुलाता,
दूर
चली क्यों जाती हो?
मैं तो हूँ छोटा-सा बच्चा,
क्या मुझसे डर जाती हो?

आओ, तुम्हें पिला दूँ पानी!
चिड़िया रानी, चिड़िया रानी,
मुझे सुनाओ अपनी बानी!

बिना थके तुम उड़ती फिरतीं,
इधर
नहीं क्यों आती हो?
मेरे साथ खेलकर गाओ,
उधर
कहाँ तुम जाती हो?

सुनो, सुनाऊँ तुम्हें कहानी!
चिड़िया रानी, चिड़िया रानी,
मुझे
सुनाओ अपनी बानी!

चंदन कुमार झा

गुरुवार, मार्च 04, 2010

ख़ूब रसीला : संगीता स्वरूप की एक शिशु कविता

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ख़ूब रसीला
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गोल-गोल है लाल टमाटर,
सबके मन को भाता
है
स्वाद बढ़ाता सब्जी का,
जब
उसमें डाला जाता है ।

खट्टा -मीठा, ख़ूब रसीला,
मन होता खाते जाएँ ।
रंगत लाल टमाटर-जैसी,
अपने
गालों पर पाएँ
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संगीता स्वरूप
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बुधवार, मार्च 03, 2010

हम हैं बच्चे सबसे अच्छे : विश्वबंधु की एक बालकविता

हम हैं बच्चे सबसे अच्छे
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आज आपको 7 साल के एक नन्हे कवि की कविता
पढ़वाई जा रही है, जो शाहजहाँपुर (उ.प्र.) के
एम. आर. सिंधिया पब्लिक स्कूल में कक्षा - 2 के छात्र हैं ।
नन्हे कवि की अभिव्यक्ति को
ज्यों का त्यों प्रकाशित किया जा रहा है -
-----------
हम हैं बच्चे मन के सच्चे
पाठशाला में हम पढ़ते हैं
कभी-कभी हम मौज मनाते तो
कभी-कभी हम रेस लगाते हैं
कभी-कभी हम चित्र बनाकर
उसको रंग हम लेते हैं
हम हैं बच्चे सबसे अच्छे
पाठशाला में हम पढ़ते हैं ।
-----------
अब आप वह चित्र देखिए,
जिसे देखकर उन्होंने यह कविता रची है -


और अब आप मिलिए,
इस कविता के रचयिता से -


--(( विश्वबंधु ))--

आनंदपुरम् कॉलोनी, शाहजहाँपुर (उ.प्र.)
मोबाइल नंबर - 9415035767
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