आज सबसे पहले पता करते हैं कि
चुलबुल ने उगते हुए सूरज के साथ और क्या-क्या देखा!
अब पता करते हैं कि लविज़ा ने
आइसक्रीम खाते हुए किसका और कौन-सा गीत गुनगुनाया!
अब चलते हैं नेशनल ज्योग्रेफिक डॉट कॉम की सैर करने!
यहाँ आपको मिलेंगे ऐसे प्यारे-प्यारे बहुत से फ़ोटो!
इसके बाद पढ़ते हैं वेबकैम पर रची गई एक अनोखी रचना!
इसके रचनाकार हैं : डॉ. रूपचंद्र शास्त्री मयंक!
वेबकैम की शान निराली, करता घर-भर की रखवाली!
कैलाश सी शर्मा की यह कविता भी कुछ कम नहीं है!
दो खरगोश भागकर आए, बोले कुत्तों से हमें बचाओ!
बाल-मंदिर में बचपन की मधुर याद करा रही है,
डॉ. सुरेंद्र विक्रम की यह ग़ज़ल!
क्या मज़े थे, नर्सरी के दिन! उन दिनों की याद आई, क्या करें?
रिमझिम छुट्टियाँ मनाने के लिए चली गई है!
मीठी-मीठी यादें लेकर आएगी!
पाखी भी सुंदर यादों का खजाना बटोरने के लिए घूमने गई है!
मिट्टी में खेलने का मज़ा ही कुछ और है!
आदित्य को मिट्टी खेलने के लिए किसने लाकर दी?
कुहू भी कुछ मज़ेदार समाचार सुना रही है!
नन्ही परी की मस्ती देखे बिना तो मज़ा अधूरा ही रह जाएगा!
अंत में सरस पायस पर पढ़िए मेरी यह कविता!
ऐसी ख़ुशी मिली मुझको
भौंरे और मधुमुखी ने
उसको मधु सुर में गीत सुनाए!
जिनसे सरस हुआ ख़ुश हो
वह भी नाचा पंखुरी उठाए!