"सरस पायस" पर प्रकाशित रचनाएँ ई-मेल द्वारा पढ़ने के लिए
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- चिड़िया रानी नहा रही है : रावेंद्रकुमार रवि का नया...
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- देखो, मैं कितना गोरा हूँ : पहेली का हल
- गाजर और टमाटर : मेहुल कपाड़िया की शिशुकविता
- देखो, मैं कितना गोरा हूँ : क्या मुझको पहचाना?
- हरा-भरा रहे अपना जहाँ ...... : सरस चर्चा (३५)
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9 टिप्पणियां:
यह रचना जितनी बार भी पढ़ता हूँ उतनी ही ताज़ी लगती है. यह सेवक जी की कालजयी रचना है.
सचमुच... 'निरंकार देव सेवक' जी ने बाल साहित्य की मन से सेवा की है.
अरे वाह! सुन्दर रचना. अपने बरेली की ही विभूति सेवक जी से तो वैसे भी लगाव है।
बहुत सुंदर गीत और बहुत सुन्दर प्रस्तुति|
बहुत सुंदर बाल गीत और सुन्दर प्रस्तुति|
बहुत प्यारी सी कविता ...
बहुत प्यारी सी कविता !!!!!!!!!
सचमुच... 'निरंकार देव सेवक' जी की बाल कविता बहुत सुन्दर है!
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