मेरा पहला फ़ोटो लिया गया!
मुझे पता ही नहीं चला!
पता भी कैसे चलता?
मैं तो सोई हुई थी!
मीठे-मीठे सपनों में खोई हुई थी!
मुझे कुछ-कुछ पता चला,
जब अगले दिन मेरा दूसरा फ़ोटो लिया गया!
मेरे सपने इतने बढ़िया थे
कि मैं जागना ही नहीं चाह रही थी!
पर मेरे पापा माने ही नहीं
और उन्होंने मुझे जगा ही दिया!
दो दिन की होते ही
उन्होंने मेरा तीसरा फ़ोटो भी ले लिया!
मैंने उनके प्यार को
अपनी दोनों मुट्ठियों में बंद कर लिया!
अभी तो आपको पढ़कर ही काम चलाना पड़ेगा!
- मेरे ताऊ जी द्वारा मेरे आने की ख़ुशी में रचा गया यह गीत -
रवि ने किरण सजाई है!
ख़ुशियों की किलकारी भरती,
बिटिया रानी आई है!
लगता फूलों की क्यारी में,
कली एक मुस्काई है!
अपनी ख़ुशबू से महकाकर,
सबके मन को भाई है!
बिटिया रानी आई है!
इसकी बतियाँ बहुत सरस हैं,
अँखियों से बतियाई है!
देख-देखकर इसकी शोभा,
मस्ती सब पर छाई है!
बिटिया रानी आई है!
इसकी साँसों की रुनझुन से,
सबको मिली बधाई है!
ऐसा लगता, जैसे कोई,
बजी मधुर शहनाई है!
बिटिया रानी आई है!
जीवन-भर रह सके सुखी यह,
ऐसी बात बनाई है!
इसके सिर पर आशीषों की,
रवि ने किरण सजाई है!
बिटिया रानी आई है!
रावेंद्रकुमार रवि
मेरे आने से मेरे परिवार के सब लोग बहुत ख़ुश हैं!
मेरे दोनों भाइयों की ख़ुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा!
प्रियांशु ओम तो एक पल के लिए भी
मुझे छोड़ना नहीं चाहता!
ताऊ मुझे रुनझुन कहकर बुलाते हैं और ताई नयना!
माँ को भी नयना कहना पसंद है!
- पर पापा ने मेरा नाम रखा है -
♥♥ ओजस्वी ♥♥
♥♥ ओजस्वी रुनझुन ♥♥