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झूम-झामकर, धूमधाम से
हमको गले लगाओ ना!
बरखा रानी, आओ ना!
भूल गईं जो मीठी बतियाँ,
उन चिड़ियाओं की बोली में
कुछ मिठास भरवाओ ना!
बरखा रानी, आओ ना!
छुपा रखी थी जो स्वरलहरी,
पत्तों पर गिर-गिरकर हमको
फिर से वही सुनाओ ना!
बरखा रानी, आओ ना!
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEigDSU3oZ3NgAwgeShGvh4oOQWABD3r3Q93DM_BNMTkP_CpNF7okyvmEPVLND_FLb0DqoimgQlOJam48xFaP3aen8wrPh7enYdgeijKt0A1G7nOogBFbuYihbcoGSJA5Do53Ec5tB6Bj1VD/s320/Rangraag_RM.jpg)
इंद्रधनुष के रंगोंवाला,
बूँदों का तुम वही बिछौना
धरती पर बिछवाओ ना!
बरखा रानी, आओ ना!