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बुधवार, अगस्त 04, 2010

बहुत सुरीली थी : चुलबुल की गुनगुन : सरस चर्चा ( 8 )

हवा घुस गई है बालों में, आँखों में है रंगत आई!
मची गुदगुदी है गालों में, ओंठों पर मुस्कान सजाई!


इस बार इशिता ने अक्सा बीच पर ख़ूब मस्ती करते हुए
अपने दोस्तों के साथ पिकनिक मनाई!


मार्वे बीच पर उसने चश्मा लगाकर
पानी में भी ख़ूब छपाक-छइ की! हम भी करें चलकर!


३१ जुलाई को अक्षयांशी ने अपनी छोटी बहन
पौच का जन्म-दिन बहुत ख़ुशी के साथ मनाया!
वैसे तो उसका नाम पलक है,
पर प्यार से सब उसे पौच जी कहते हैं!
अब वह एक साल की हो गई है!
चलिए, उसके ब्लॉग पर चलकर उसकी बहना को बधाई देते हैं!


रिमझिम ने अपना घर
झिलमिलाते सितारों से भरकर
तितलियों को उसमें रहने की जगह दे दी!
एक सुंदर-सी कविता भी रची!
आइए, चलकर उसकी कविता पढ़ते हैं!


आप मोबाइल से कैसी-कैसी बातें करते हैं?
बाल-दुनिया पर इस बार मोबाइल से
अच्छी-अच्छी बातें करना सिखाया जा रहा है!
हम भी यह कविता पढ़ने चलते हैं!


आदित्य ने लैपटॉप पर एम. एस. वर्ड में लिखना शुरू कर दिया है!
हम उसके जल्दी स्वस्थ होने की कामना करते हैं,
क्योंकि वह बुखार से जूझ रहा है!
आप ख़ुद ही देख लीजिए -
आदि का चेहरा ही सब कुछ बता रहा है!


पाखी को एक और तोहफा मिला है!
एक क़िताब के मुखपृष्ठ पर उसका फ़ोटो छापा गया!
पाखी को बहुत-बहुत बधाई!


माधव के नानी-नाना आजकल दिल्ली आए हुए हैं!
वह उनके साथ ख़ूब मौज़ मना रहा है!
नानी से मालिश करवा रहा है और ख़ूब घूम रहा है!
सेंट्रल पार्क, कनाट प्लेस में उसकी मस्ती देखिए!


"सरस पायस" पर पहले नाचने-गाने की बात हुई!


फिर "सरस पायस" पर कुछ नन्हे-प्यारे चूज़े भी मुस्कराए!


लेकिन आज "सरस पायस" बहुत उदास है!



मंगल 3.08.2010 की सुबह 5.०० बजे सब कुछ अमंगल करके .............



सपनों में खोई रूपाली, लगती थी : ख़ुशियों की डाली!


लेकिन अब यह रूपाली हमेशा के लिए सपनों में खो गई है!

चुलबुल, दु:ख की इस घड़ी में हम सब तुम्हारे साथ हैं!

गुनगुन फिर से आएगी! एक नई रुनझुन के साथ!

फूलों की तरह फिर से मुस्कराएगी तुम्हारे साथ!


रावेंद्रकुमार रवि

11 टिप्‍पणियां:

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

उम्दा पोस्ट.

राजभाषा हिंदी ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति।
राजभाषा हिन्दी के प्रचार प्रसार मे आपका योगदान सराहनीय है।

रंजन ने कहा…

उफ्फ्फ... बहुत अफसोस है.. :(

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

बहुत सुन्दर चर्चा...

'पाखी की दुनिया; और 'बाल-दुनिया' की चर्चा के लिए विशेष आभार.

Shubham Jain ने कहा…

चर्चा तो बहुत सुन्दर, लेकिन गुनगुन के बारे में जान कर मन अत्यंत दुखी हो गया...

Chinmayee ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति।

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

कित्ती प्यारी चर्चा.... पर गुनगुन के बारे में जानकर अच्छा नहीं लगा...
________________________
'पाखी की दुनिया' में 'लाल-लाल तुम बन जाओगे...'

ज्योति सिंह ने कहा…

कुछ मीठी कुछ खट्टी खबर ,बच्चो की ये क्यारी बडी है प्यारी .गुनगुन फिर चहकेगी अपनी मधुर मुस्कान लिये .

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बढ़िया चर्चा.

rashmi ने कहा…

क्यों जलाती व्यर्थ मुझको!
क्यों रुलाती व्यर्थ मुझको!
क्यों चलती व्यर्थ मुझको!
री-अमर-मरू-प्यास,मेरी मृतु ही साकार बन जा!
पीर मेरी,प्यास बन जा.................!!

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

पोस्ट बहुत ही सुन्दर है ...
गुनगुन के बारे में जानकर मन उदास हो गया ... उसके माता-पिता एवं सभी परिजनों को मेरा हार्दिक संवेदना ...

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