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शुक्रवार, अगस्त 27, 2010

अगर मैं चिड़िया होती ... ... . : रिमझिम की शिशुकविता

अगर मैं चिड़िया होती ... ... .


रात भर सोती,
सुबह उठकर दाने खाती।

आसमान की सैर करती,
इंद्नधनुष के पास जाती,
ख़ूब सारे रंग लाती।

ख़ूब उछलती, ख़ूब फुदकती,
हवा में उड़कर गाने गाती।
अगर मैं चिड़िया होती ... ... .

कन्हैया बनी हूँ मैंकन्हैया बनी हूँ मैं

रिमझिम
♥♥ चिन्मयी इंद्रनील भट्टाचार्जी ♥♥
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8 टिप्‍पणियां:

Ranjan ने कहा…

bahut sundar..

समयचक्र ने कहा…

बहुत बढ़िया रचना हैं ... चिड़िया के भाव बच्चों को सुनाऊंगा....

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति।

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

सुन्दर बाल गीत----रिमझिम को हर्दिक बधाई।

डॉ. देशबंधु शाहजहाँपुरी ने कहा…

शिशु कविता है अति मनभावन
जैसे बरसे रिमझिम सावन

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar ने कहा…

बहुत खूबसूरत कल्पना है रिमझिम की---सुन्दर शिशुगीत ।रिमझिम को मेरी हार्दिक शुभकामनायें।

Chinmayee ने कहा…

धन्यवाद रवि अंकल ....

Satish Saxena ने कहा…

वाह रवि अंकल !
बच्चों के दिल में बैठे हो यार ! हार्दिक शुभकामनायें इस प्यारे दिल के लिए.....

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