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शनिवार, अप्रैल 24, 2010

म्याऊँ करके उसे चिढ़ाती : आकांक्षा यादव की नई शिशु कविता


म्याऊँ करके उसे चिढ़ाती
दिन-भर टें-टें करता रहता,
राम-नाम भी जपता रहता।

बहुत प्यार से मैंने पाला,
मेरा तोता बहुत निराला।

उसको मिर्ची ख़ूब खिलाती,
पानी लाकर उसे पिलाती।

म्याऊँ करके उसे चिढ़ाती,
बिल्ली से मैं उसे बचाती।
आकांक्षा यादव

बुधवार, मार्च 31, 2010

मैं भी पढ़ना सीख रही हूँ : आकांक्षा यादव का नया बालगीत


मैं भी पढ़ना सीख रही हूँ


मैं भी पढ़ना सीख रही हूँ,
ताकि पढ़ सकूँ मैं अखबार।

सुबह-सवेरे मेरे द्वार,
हॉकर लाता है अखबार।
कभी नहीं वह नागा करता,
शीत पड़े या पड़े फुहार।
मैं भी ... ... .

दादा जी का हो जाता है,
आते ही पहले अखबार।
चश्मा ऊपर-नीचे करके,
पढ़ते वे दुनिया का सार।
मैं भी ... ... .

समाचार पापा को भाते,
दादी को भाते त्योहार।
मम्मी की पसंद है खाना,
मुझको चित्रों का संसार।
मैं भी ... ... .
आकांक्षा यादव
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सबसे ऊपर चित्र में हैं : पाखी (अक्षिता)
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