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बुधवार, मई 26, 2010
मन ख़ुशियों से फूला : डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक" की नई बालकविता
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11 टिप्पणियां:
गर्मी में ठंडी फुहार देती सुन्दर कविता.....और प्राची तो खूब झूला झूल रही है.....
सुन्दर और भोली कविता ....बहुत खूब !
रवि जी!
आखिरकार आपने सरस-पायस के लिए
बालकविता लिखना ही ली!
--
आपके आग्रह में बल है!
--
सरस पायस पर इसे सुन्दर ढंग से
प्रकाशित करने के लिए आभार!
वाह गर्मी में झुला ! वैसे झुला तो सावन के मौसम में झूलते है , पर अब मै भी try करता हूँ, कविता अच्छी है , कुल्फी इसक्रीम तो हमें भी अच्छी लगती है
सुन्दर झूला..मेरा भी मन खुशियों से फूला..
_________________
'पाखी की दुनिया' में देखें ' सपने में आई परी'
बहुत प्यारी कविता गर्मी के ठंडक देती
nice
bahut sundar kavita aur bahut sundar prachi aur uska jhula...
आज सरस पायस का सक्रियता क्रमांक 93 है!
बधाई!
झूला तो कभी भी झूला जा सकता है!
अभिनव सन्देश देती सुन्दर बाल कविता!
डॉ. मयंक जी की कविता की प्रतिक्रिया में ...
गर्मी / दीनदयाल शर्मा
तपता सूरज लू चलती है ,
हम सबकी काया जलती है..
गर्मी आग का है तंदूर
इससे कैसे रहेंगे दूर
मन करता हम कुल्फी खाएं,
कूलर के आगे सो जाएँ.
खेलने को हम हैं मजबूर,
खेलेंगे हम सभी जरुर
पेड़ों की छाया में चलकर ,
झूला झूल के आयेंगे,
फिर चाहे कितनी हो गर्मी,
इस से ना घबराएंगे.
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