"सरस पायस" पर सभी अतिथियों का हार्दिक स्वागत है!

रविवार, मई 30, 2010

आओ, नाचें ता-ता-थइया : श्याम सखा श्याम का बालगीत

आओ, नाचें ता-ता-थइया!

बादल भइया, बादल भइया,
आओ, नाचें ता-ता-थइया!

बंद पड़ी दादुर की टर-टर,
बहे पसीना झर-झर-झर-झर!

बछिया ढूँढ रही है मइया!
बादल भइया, बादल भइया,
आओ, नाचें ता-ता-थइया!

पिहू-पिहू कर मोर पुकारे -
आजा-आजा बादल प्यारे!

सूखे हैं सब ताल-तलइया!
बादल भइया, बादल भइया,
आओ, नाचें ता-ता-थइया!

काम ज़रा-सा कर दो ना,
झील-नदी सब भर दो ना!

ले लो मुझसे एक रुपइया!
बादल भइया, बादल भइया,
आओ, नाचें ता-ता-थइया!

हम नाचेंगे, हम गाएँगे,
अपनी नाव चला पाएँगे!

माझी गाएँ "हइया-हइया"!
बादल भइया, बादल भइया,
आओ, नाचें ता-ता-थइया!


श्याम सखा श्याम

29 comments:


Udan Tashtari ने कहा…
बहुत बढ़िया..चित्रमय काव्य प्रस्तुति-श्यामल सखा जी की..आनन्द दे गई.

creativekona ने कहा…
बहुत बढिया बालगीत ...अच्छी प्रस्तुति . हेमंत कुमार

ओम आर्य ने कहा…
ek achchhi prastuti ke sath ......shyam sakha ji ki rachna hamesha hame sarabor krati hai..........

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…
तस्वीरों को देख कर बडी ठन्डक मिली..सुन्दर रचना.

ज्योति सिंह ने कहा…
जरूरत के मुताबिक पुकार ,मौसम का झलक रहा मिजाज़ ,इस विनती की जरूरत सबको है आज .

●๋• सैयद | Syed ●๋• ने कहा…
बहुत बढिया बालगीत

Dr. Amar Jyoti ने कहा…
बालमन के उत्साह से भरपूर जीवन्त प्रस्तुति। और चित्रों ने तो सोने में सुहागे का काम किया है। बधाई।

Prem Farrukhabadi ने कहा…
समयानुकूल गीत प्रसंसनीय है.श्याम जी ने गेयता का विशेष ध्यान रखा है जो काबिले तारीफ है.अगर यही गीत संगीत के साथ गाया जाये तो लोकप्रियता हासिल करने में जरा देर नहीं लगेगी.सुन्दर गीत के लिए श्याम भाई जी को दिल से बधाई.

नीरज गोस्वामी ने कहा…
श्याम जी वाह..अद्भुत प्रस्तुति...चित्रों के साथ आपकी कविता ने कमाल कर दिया है...चित्र वो ही बोल रहे हैं जो शब्द कह रहे हैं...शानदार मनभावन प्रयोग...बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत अच्छा लगा...बधाई... नीरज

sada ने कहा…
बहुत ही सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति, बालमान को प्रसन्‍न करती पंक्तिया, बधाई ।

श्याम सखा 'श्याम' ने कहा…
आप सभी का आभार आपने मेरी गज़लों की तरह ही इस बाल गीत को मान दिया श्याम

Abhishek Mishra ने कहा…
चित्रों के साथ बहुत ही सुन्दर रचना.शायद बच्चों की पुकार ही सुन लें ये बादल ! (कृपया ब्लॉग में हिंदी ट्रांस्लितरेटर की सुविधा भी जोड़ लें. )

डा. श्याम गुप्त ने कहा…
bahut sundar baalgeet ,shyamsakhaa ji , badhaaee sundar chitr collection ke liye.

रानी पात्रिक ने कहा…
सुन्दर, सरल बाल गीत। बच्चे मिल कर गाएं तो बादल को अवश्य ही बरसना पड़ेगा।

दिगम्बर नासवा ने कहा…
कमाल की रचनाएं हैं श्याम जी......... बाल गीत भी आप इंतना मधुर कहते हैं पता नहीं था सभी................. नया अंदाज़ है कहने का..........चित्र भी लाजवाब, खिलते हुए है

राज भाटिय़ा ने कहा…
बहुत सुंदर चित्रो के संग आप ने अपनी लेखनी का जादू बिखेरा.... बहुत अच्छी लगी आप की यह बाल कथा.

मनोज अबोध ने कहा…
आदरणीय श्‍याम सखा जी, प्रणाम । बालगीत यकीनन बालगीत है, यानी बचपन जाग उठा । बधाई मनोज अबोध

Gurusaran Singh ने कहा…
Ravi jee ne Shyam jee ke geet ko chitrankan dwara prastut karke Paryavaran kee vedna ko jeevant kar diya. Main is prastutikaran kaa hriday se aabharee hoon.

श्याम सखा 'श्याम' ने कहा…
वाकई इसे सवांरने सहेजने काश्रेय भाई रवि को है श्याम सखा

Pakhi ने कहा…
Bahut sundar likha. ha..ha..ha..

devendra ने कहा…
बालगीत की चित्रमय प्रस्तुती मन मोहक है। -देवेन्द्र पाण्डेय।

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…
ले लो मुझसे एक रुपइया! बादल भइया, बादल भइया, आओ, नाचें ता-ता-थइया! शानदार गीत पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएं. गीत की पंक्तियाँ इतनी बाल-सुलभ लगी कि अन्दर का बाल-मन यह कहने को मचल ही उठा कि ..... ले लो मुझसे भी टिप्पणियां बादल भइया, बादल भइया, आओ, नाचें ता-ता-थइया! चन्द्र मोहन गुप्त

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक ने कहा…
श्याम सखा 'श्याम'जी। मनमोहक सुन्दर रचना के लिए बधाई। सरस पायस पर इसका प्रस्तुतिकरण बहुत बढ़िया है।

'अदा' ने कहा…
बहुत ही सुन्दर कविता, और चित्रों के साथ , अब एक ऑडियो के साथ भी हो जाए श्याम जी , बेहद सुन्दर, सरल और सरस, बस अब बादल बरसने ही वालें हैं स्वप्न मंजूषा 'अदा'

manu ने कहा…
बहुत बहुत मजा आया... और जो चित्र आपने इस्तेमाल किये हैं,,,उन्काकोई जवाब.... बड़ा मजा आया,,,

शोभना चौरे ने कहा…
bhut sundar.aisi balman ki pukar sunkar to badal ghumad ghumd kar aavege.

डॉ. देशबंधु शाहजहाँपुरी ने कहा…
JITNI SUNDAR KAVITA ,USSE KAHI ADHIK SUNDAR HAI CHITRO KA MISHRAN.RACHNA KAR,CHAYAKAR AUR SAMPADAK TEENO KA JAVAB NAHI....

Babli ने कहा…
बहुत ख़ूबसूरत बालगीत लिखा है आपने!

चंदन कुमार झा ने कहा…
बहुत सुन्दर...बहुत ही उत्कृष्ट.......बहुत ही मनमोहक.

9 टिप्‍पणियां:

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

यह बालगीत भी उन्हीं रचनाओं में से एक है,
जो अज्ञात कारणवश "सरस पायस" से ग़ायब हो गई थीं!
--
इस पोस्ट की प्रतिलिपि "गूगल सर्च" से प्राप्त हुई!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

नाच रहे सब ता-ता-थइया!!
बरसो अब तो बादल भइया!
सूखे ताल-तलैय्या सारे!
हाल बुरा गर्मी के मारे!!
याद आ रही सबको मैय्या!
बरसो अब तो बादल भइया!

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

अरे वाह!! कविता तो सुन्दर है ही, चित्रों ने उसमें चार चांद लगा दिये.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

मेरी टिप्पणी कहाँ गयी ??????????/ :( :(

बहुत सुन्दर चित्रों के साथ खूबसूरत गीत

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आपका ( मन खुशियों से फूला ) बाल गीत चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर मंगलवार १.०६.२०१० के लिए ली गयी है ..
http://charchamanch.blogspot.com/

माधव( Madhav) ने कहा…

आपने जिस दिन पोस्ट लिखी उस दिन दिल्ले में बारिश हुई थी

Shri"helping nature" ने कहा…

माझी गाएँ "हइया-हइया"!
बादल भइया, बादल भइया,
आओ, नाचें ता-ता-थइया!

WAAAAAAAAAAAAAH MJA AA GYAAAAAA
SHANDAAR

Sunny Khetarpal ने कहा…

awesome...i am very happy to read all this

my profile: http://www.twitterons.com/Sunny

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

सन्नी क्षेत्रपाल जी की टिप्पणी का हिंदी अनुवाद -

यह सब पढ़कर मैं बहुत प्रसन्न हूँ!

Related Posts with Thumbnails

"सरस पायस" पर प्रकाशित रचनाएँ ई-मेल द्वारा पढ़ने के लिए

नीचे बने आयत में अपना ई-मेल पता भरकर

Subscribe पर क्लिक् कीजिए

प्रेषक : FeedBurner

नियमावली : कोई भी भेज सकता है, "सरस पायस" पर प्रकाशनार्थ रचनाएँ!

"सरस पायस" के अनुरूप बनाने के लिए प्रकाशनार्थ स्वीकृत रचनाओं में आवश्यक संपादन किया जा सकता है। रचना का शीर्षक भी बदला जा सकता है। ये परिवर्तन समूह : "आओ, मन का गीत रचें" के माध्यम से भी किए जाते हैं!

प्रकाशित/प्रकाश्य रचना की सूचना अविलंब संबंधित ईमेल पते पर भेज दी जाती है।

मानक वर्तनी का ध्यान रखकर यूनिकोड लिपि (देवनागरी) में टंकित, पूर्णत: मौलिक, स्वसृजित, अप्रकाशित, अप्रसारित, संबंधित फ़ोटो/चित्रयुक्त व अन्यत्र विचाराधीन नहीं रचनाओं को प्रकाशन में प्राथमिकता दी जाती है।

रचनाकारों से अपेक्षा की जाती है कि वे "सरस पायस" पर प्रकाशनार्थ भेजी गई रचना को प्रकाशन से पूर्व या पश्चात अपने ब्लॉग पर प्रकाशित न करें और अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित न करवाएँ! अन्यथा की स्थिति में रचना का प्रकाशन रोका जा सकता है और प्रकाशित रचना को हटाया जा सकता है!

पूर्व प्रकाशित रचनाएँ पसंद आने पर ही मँगाई जाती हैं!

"सरस पायस" बच्चों के लिए अंतरजाल पर प्रकाशित पूर्णत: अव्यावसायिक हिंदी साहित्यिक पत्रिका है। इस पर रचना प्रकाशन के लिए कोई धनराशि ली या दी नहीं जाती है।

अन्य किसी भी बात के लिए सीधे "सरस पायस" के संपादक से संपर्क किया जा सकता है।

आवृत्ति