तुम हर पल हँसती रहना!
फूलों की तरह सरसना!
तुम हर पल हँसती रहना!
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"सरस पायस" बच्चों के लिए अंतरजाल पर प्रकाशित पूर्णत: अव्यावसायिक हिंदी साहित्यिक पत्रिका है। इस पर रचना प्रकाशन के लिए कोई धनराशि ली या दी नहीं जाती है।
अन्य किसी भी बात के लिए सीधे "सरस पायस" के संपादक से संपर्क किया जा सकता है।
11 टिप्पणियां:
बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
साहित्यकार-बाबा नागार्जुन, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
बहुत अच्छी प्रस्तुति.धन्यवाद
रुनझुन बहुत प्यारी लग रही हो!
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तुम्हारे ताऊ जी ने तो बहुत सुन्दर कविता रची है!
प्यारी-प्यारी रुनझुन के लिए न्यारी-न्यारी कविता...सुन्दर लगी.
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'पाखी की दुनिया' में- डाटर्स- डे पर इक ड्राइंग !
प्यारा सा बालगीत और बहुत ही प्यारी सी रुनझुन..... वेरी क्यूट
वाह.. बहुत सुन्दर तस्वीरे. और बहुत सुन्दर बोल..
प्यारी प्यारी रुनझुन को ढ़ेर सारा प्यार .
दुर्गाष्टमी और दशहरे की शुभकामनाएँ
नन्ही ब्लॉगर
अनुष्का
वेरी क्यूट
आप का प्रयास प्रशंसनीय है:
"मैं बचपन को ढूंड रही थी
बचपन बिटिया बन आया
बिटिया को बुलाया मैंने
बचपन दौड़ कर आया
मैंने देखा कि वह तो
मिटटी खा कर आई थी
कुछ खा कर कुछ लिए हाथ में
मुझे खिलने आई थी
वह बोली लो माँ काओ
मैंने कहा नहीं तुम्हीं खाओ"
ओ मेरी बहना / तुमसे कुछ कहना/ तुम कोमल टहनी/पैजनीऑ पहनी/बजती है छम छम/गम भेजे गम गम/ओह ना सुनना/ तुमसे कुछ कहना
ओ बहना सुनना/ तुमसे कुछ कहना
सखी सहेली हेरे/ मिलजुल सब टेरे
ऐसा तुम नचना/नाचे घर अगना
ऐसा तुम गुनना/ओ मेरी बहना
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