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शुक्रवार, दिसंबर 24, 2010

सबसे प्यारी तुम : रावेंद्रकुमार रवि की नई कविता

सबसे प्यारी तुम



उछलते, कूदते,
दौड़ते, भागते, खेलते,
किलकारियाँ भरते,
खिलखिलाते, मुस्कराते,
चहचहाकर बात करते -
प्यारे-प्यारे बच्चे

और
उन सब में
सबसे प्यारी तुम
सजी-सँवरी
रेशमी परिधान में

दौड़ती हो जब
पकड़ने तितलियों को
छम-छमाछम की
तरंगें छेड़कर,
याद आता है मुझे -
बचपन मेरा!

रावेंद्रकुमार रवि

(यह कविता मैंने 10 अगस्त 1988 को
एक 5 साल से छोटी लड़की "चीनू" के लिए रची थी!
अब वह कहाँ होगी? कैसी होगी? कुछ पता नहीं!)

बुधवार, दिसंबर 22, 2010

नाचे मोर : रावेंद्रकुमार रवि की नई शिशुकविता

नाचे मोर


देख बदरिया
करता शोर!
पर फैलाकर
नाचे मोर!

इसकी चाल
बहुत मस्तानी!
रंग-रँगीली
पूँछ सुहानी!

मुकुट सजा
इसके सर पर!
उड़ता है
फर-फर, फर-फर!

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कविता : रावेंद्रकुमार रवि

सोमवार, दिसंबर 20, 2010

हम बगिया के फूल : डॉ. बलजीत सिंह का बालकविता-संकलन

जानेमाने प्रकाशक डॉ. गिरिराजशरण अग्रवाल की देखरेख में


giriraj@hindisahityaniketan.com

द्वारा डॉ. बलजीत सिंह की 
६६ कविताओं का एक संकलन छापा गया है!
इस संकलन की कविताएँ बच्चों में
राष्ट्रप्रेम, देशभक्ति, गौरव, स्वाभिमान, 
आदर्श एवं नैतिक गुणों के
भाव जगाने के उद्देश्य से रची गई हैं!

बड़े आकार के १२८ बढ़िया पृष्ठों पर 
सचित्र प्रकाशित की गई
इस पुस्तक का मूल्य मात्र एक सौ पचास रुपए है!
इसे मँगाने के लिए उपरोक्त पतों पर संपर्क कीजिए!
सुंदर आवरण मुकेश नादान ने तैयार किया है!


इस संकलन में प्रकाशित
डॉ. बलजीत सिंह की एक कविता का अंश
"सरस पायस" के साथियों के लिए
३०.१२.१० को विशेष रूप से प्रकाशित किया जाएगा!
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रावेंद्रकुमार रवि 
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गुरुवार, दिसंबर 16, 2010

बचपन बेटी बन आया : सरस चर्चा (22)

बाल दुनिया में इस बार सुप्रसिद्ध कवयित्री सुभद्राकुमारी चौहान की
एक बहुत बढ़िया कविता प्रकाशित की गई है!

बार-बार आती है मुझको, मधुर याद बचपन तेरी
गया, ले गया, तू जीवन की, सब से मस्त ख़ुशी मेरी।।

पाया मैंने बचपन फिर से, बचपन बेटी बन आया।
उसकी मंजुल मूर्ति देखकर, मुझ में नवजीवन आया।।

आप सब भी बाल दुनिया में जाकर
यह कालजयी कविता "बचपन" अवश्य पढ़िए!


और अब यह देखिए, अनुष्का की मनभावन चित्रकारी!


अपनी दोस्त माही के साथ इशिता की मोहक मुस्कान!


माधव ने १३ दिसंबर को अपने माता-पिता की शादी की सालगिरह मनाई!


नन्हे सुमन पर डॉ. रूपचंद्र शास्त्री मयंक कह रहे हैं!
सुंदर-सुंदर सबसे न्यारा। प्राची का घर सबसे प्यारा।।

तितली बनकर उड़ती पाखी! आओ, ढूँढें कहाँ गई!


चैतन्य ने छायांकन शुरू कर दिया है! भारत के सुंदर दृश्यों को
अपने कैमरे में क़ैद करने के लिए वह भारत आ चुका है!


चुलबुल का कहना है कि ... ... .


स्पर्श ने मोर के चित्र के साथ एक नन्ही-मुन्नी कविता भी बनाई है!

देखो, बनाया है मैंने यह मोर,
केउ केउ का करता
यह शोर।


पिज़्ज़ा खाने का मज़ा लेना है, तो लविज़ा के पास पहुँच जाइए!

Laviza @ Pizza Hut, Jaipur

- और अब आपको पार्थवी को बताना है -
किस गणितज्ञ ने अभाज्य संख्याएँ ज्ञात करने का यह सूत्र बनाया था?

अंत में पढ़ते हैं, सरस पायस पर सजी


नन्ही-सी प्यारी गौरइया,

मेरे घर पर आती है।

बिखरे दानों को चुगती है,

अपनी भूख मिटाती है।


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♥♥ रावेंद्रकुमार रवि ♥♥
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