बाल दुनिया में इस बार सुप्रसिद्ध कवयित्री सुभद्राकुमारी चौहान की
एक बहुत बढ़िया कविता प्रकाशित की गई है!
बार-बार आती है मुझको, मधुर याद बचपन तेरी
गया, ले गया, तू जीवन की, सब से मस्त ख़ुशी मेरी।।
पाया मैंने बचपन फिर से, बचपन बेटी बन आया।
उसकी मंजुल मूर्ति देखकर, मुझ में नवजीवन आया।।
यह कालजयी कविता "बचपन" अवश्य पढ़िए!
और अब यह देखिए, अनुष्का की मनभावन चित्रकारी!
अपनी दोस्त माही के साथ इशिता की मोहक मुस्कान!
माधव ने १३ दिसंबर को अपने माता-पिता की शादी की सालगिरह मनाई!
नन्हे सुमन पर डॉ. रूपचंद्र शास्त्री मयंक कह रहे हैं!
सुंदर-सुंदर सबसे न्यारा। प्राची का घर सबसे प्यारा।।
तितली बनकर उड़ती पाखी! आओ, ढूँढें कहाँ गई!
चैतन्य ने छायांकन शुरू कर दिया है! भारत के सुंदर दृश्यों को
अपने कैमरे में क़ैद करने के लिए वह भारत आ चुका है!
चुलबुल का कहना है कि ... ... .
स्पर्श ने मोर के चित्र के साथ एक नन्ही-मुन्नी कविता भी बनाई है!
देखो, बनाया है मैंने यह मोर,
केउ केउ का करता यह शोर।
पिज़्ज़ा खाने का मज़ा लेना है, तो लविज़ा के पास पहुँच जाइए!
- और अब आपको पार्थवी को बताना है -
किस गणितज्ञ ने अभाज्य संख्याएँ ज्ञात करने का यह सूत्र बनाया था?
अंत में पढ़ते हैं, सरस पायस पर सजी
नन्ही-सी प्यारी गौरइया,
मेरे घर पर आती है।
बिखरे दानों को चुगती है,
अपनी भूख मिटाती है।
---------------------------------------------------
♥♥ रावेंद्रकुमार रवि ♥♥
---------------------------------------------------