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गुरुवार, जनवरी 28, 2010

पल्लवी की किताब

पल्लवी की किताब

पल्लवी की किताब

पल्लवी ने जब अपने आप बनाई एक किताब, तो उसका दिल ख़ुशी से झूम उठा!

उसने अपनी किताब को मनचाहे रंग भरकर सुंदर चित्रों से सजाया -

उसने अपनी किताब में जो कुछ भी लिखा,

वह अपनी राइटिंग में लिखा।

देखिए उसकी किताब का एक रंग-रँगीला पृष्ठ -


पल्लवी की किताब के सारे पृष्ठ ऐसे ही सजे हैं!
- उसकी किताब का आवरण पृष्ठ भी कम सुंदर नहीं है -
कैसा लगा आपको?

पल्लवी ने अपनी किताब का संपादन भी ख़ुद ही किया!

- देखिए पल्लवी की किताब का एक और मनभावन चित्र -

तो फिर अब देर किस बात की है?

फटाफट शुरू कर दीजिए बनाना, अपनी प्यारी और मनपसंद किताब!



10 comments:


Anil ने कहा…
रवि जी, पल्लवी वाकई बहुत होनहार है। उसकी लिखाई और चित्रकारी दोनों ही बहुत सुंदर हैं! यह देखकर मेरा भी कुछ बनाने को मन हो रहा है! :)

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक ने कहा…
रवि रावेंद्र ‘सरस पायस’ चमके हैं, ब्लाग-जगत में। नूतन, आकर्षक छवि से दमके हैं, ब्लाग जगत में।। रचनाओं के अर्द्ध-शतक की, शत-शत तुम्हें बधाई। पूरा कर लो शीघ्र शतक, है यही कामना भाई।।

आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal) ने कहा…
पल्लवी तो बहुत क्रिएटिव है.. उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…
अनिल भाई, बनाइए भी और बच्चों से बनवाइए भी और उसके बाद मुझे बताइए भी!

Udan Tashtari ने कहा…
पल्लवी बहुत क्रियेटिव लग रही है बचपन से ही. अनेक शुभकामनाऐं.

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…
यह भौतिक सत्य है कि मयंक को रवि प्रकाशित करता है, लेकिन शास्त्री जी की टिप्पणी पढ़ने के बाद मुझे लगा कि अंतरजाल पर उदित रवि को प्रकाश मयंक से मिल रहा है! अभिभूत हूँ!

Anil ने कहा…
रवि जी, कुछ समय पहले कंप्यूटर पर बचपन की वो सीनरी बनायी थी। यहाँ देखें!अभी मैं अविवाहित हूँ, लेकिन जब बच्चे होंगे तो उनसे यह जरूर बनवाउंगा, और अपने ब्लॉग पर डालकर आप सबको दिखाऊंगा! :)

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…
अनिल भाई, यह दुनिया तो प्यारे-प्यारे बच्चों से भरी पड़ी है! अभी उनसे भी बनवा सकते हैं! मैं तो अभी से आपके बच्चों द्वारा बनाए गए सुंदर चित्रों की कल्पना करने लगा हूँ! कोशिश कीजिए कि हम सब उन्हें जल्दी से जल्दी देख सकें!

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…
अभी तक तो सुना था कि पूत के पांव पालने में ही दिखाई देने लगते हैं, पर लगता है कि ज़माना बदल गया है, तभी तो पूत के पांव नहीं पूतनी के पांव पालने में दिखने लग गए. भाई रवि जी पल्लवी को जल्दी से काला टीका लगा दें, कहीं किसी की नज़र न लग जाये...................... उत्तम जानकारी और पल्लवी की प्रतिभा का दर्शन करवाने के लिए आभार. चन्द्र मोहन गुप्त

डॉ. देशबंधु शाहजहाँपुरी ने कहा…
pallavi ki kitab me bitiya ka shram jhalak raha hai.ise dekhkar aur bachche bhi kuch naya karenge.

8 टिप्‍पणियां:

राज भाटिय़ा ने कहा…

पल्लवी बिटिया तो बहुत सयानी है, बहुत सुंदर पुस्तक बनाई, चलिये बिटिया रानी युही पढती रहे एक दिन बहुत बडी बनो गी.
बहुत सा प्यार

अनूप शुक्ल ने कहा…

ये तो बहुत सुन्दर किताब है! बिटिया रानी सही में सयानी।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

रचना अभिनव सीख सिखाती।
पढ़ने का है भाव जगाती।।

shyam gupta ने कहा…

बहुत सुन्दर किताब है, प्रस्तुत करने वाले -सरस पायस को भी बधाई.

Udan Tashtari ने कहा…

पल्लवी को बहुत बधाई..बहुत क्रिएटिव है..बहुत आगे जायेगी.

संजय भास्‍कर ने कहा…

पल्लवी तो बहुत क्रिएटिव है.. उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं

Paise Ka Gyan ने कहा…

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Paise Ka Gyan ने कहा…

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