गिरिजा कुलश्रेष्ठ
पीछे-पीछे सब डिब्बों से
नन्ही मान्या घुटनों-घुटनों
चलती किलक-किलककर!
उसे पकड़ने दौड़ पड़ा है
पीछे-पीछे सब घर!
चश्मा रखकर दौड़ीं दादी,
पुस्तक रखकर दादा,
हड़बड़-गड़बड़ पापा-मम्मी,
काम छोड़कर आधा,
चकराए चाचा चिल्लाए --
रोको, अरे, सँभलकर!
नन्ही मान्या घुटनों-घुटनों
चलती किलक-किलककर!
सबको पीछे देख, और
वह भागी तेज़ किलककर!
फूट पड़े दूधिया हँसी के
कितने प्यारे निर्झर!
उठा लिया गोदी में तो,
फिर उतरी मचल-मचलकर!
नन्ही मान्या घुटनों-घुटनों
चलती किलक-किलककर!
चटपट-चटपट गई किचन में,
सरपट-सरपट आँगन!
पीछे-पीछे सब डिब्बों से,
मान्या हो गयी इंजन!
चलती जाती ऐसे, जैसे --
घूमेगी दुनिया-भर!
नन्ही मान्या घुटनों-घुटनों
चलती किलक-किलककर!
गिरिजा कुलश्रेष्ठ
मोहल्ला - कोटावाला, ख़ारे कुएँ के पास,
ग्वालियर, मध्य प्रदेश (भारत)
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