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गुरुवार, नवंबर 03, 2011

जलेबी की मिठास-जैसा : यदि ऐसा हो जाए (कविता-संकलन)

यह है एक कविता-संकलन का मुखपृष्ठ!


और यह है इस संकलन के पीछे छपा फ़ोटो!


इस फ़ोटो में मुस्कुरा रहे हैं - सृजन 
और गुस्सा होने का अभिनय कर रही हैं - सृष्टि! 

इस संकलन में शामिल सभी कविताएँ 
इन दोनों के पापा ने रची हैं! 
सभी कविताओं के साथ चित्र भी हैं, 
पर अंदर के पृष्ठों पर रंगों का अभाव है!

वैसे तो इस संकलन में विभिन्न विषयों पर 
50 से अधिक कविताएँ शामिल हैं!
पर एक गीत मुझे बहुत अच्छा लगा! 
आप सब भी गाकर देखिए! 
बहुत मज़ा आएगा!

मुझे जलेबी दो

गरम-गरम रसदार करारी, मुझे जलेबी दो।
ओ अम्मा! झट प्यारी-प्यारी मुझे जलेबी दो।

सर्दी है अब इसका जलवा
सबको भाया है।
हलवाई ने अभी-अभी ही
इसे बनाया है।
चाय, पराँठे, मूँगफली,
हलवा की चाह नहीं।
काजू मेवे खाकर भी
मन बोले वाह नहीं।
अरे! टिफिन में ढेरों-सारी मुझे जलेबी दो।।
ओ अम्मा! झट प्यारी-प्यारी मुझे जलेबी दो।

जितनी खा पाऊँगा,
उतनी ही मैं खाऊँगा,
और बचेंगी जितनी,
उनको वापस लाऊँगा।
उन्हें साँझ को भिगो दूध में,
देना तुम अम्मा।
बड़े चाव से खाऊँगा मैं
करता यम-यम्मा।
होगी मुझ पर कृपा तुम्हारी, मुझे जलेबी दो। 
ओ अम्मा! झट प्यारी-प्यारी मुझे जलेबी दो।


और ये रहे जलेबी की मिठास-जैसी कविताएँ रचनेवाले 
सृष्टि और सृजन के पापा!


डॉ. नागेश पांडेय संजय

5 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति!
आज के चर्चा मंच पर भी इसका लिंक लगा है!

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

प्रिय सृष्टि और सृजन को ..ढेर सारी हार्दिक शुभ कामनाये ..जलेबी सी मिठास ..मधुर वाणी हो ....जग का कल्याण हो .... आप और आप के सपरिवार को .सूर्य भगवान् जीवन में रौशनी भर दें .पता नहीं कैसे मै अभी तक इस ब्लॉग से दूर रहा ..अति सुन्दर ...
भ्रमर ५
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया
http://surenrashuklabhramar5satyam.blogspot.com

डॉ. नागेश पांडेय संजय ने कहा…

मान्यवर,
रचनाओं को प्रस्तुत करने का आपका अंदाज ही अलग है. आभारी हूँ.

Order Best Cakes Online ने कहा…

This Article is truly very helpful. Cakes Delivery Online

GAURAV BARNWAL ने कहा…

This article I very helpful thank you
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