झींगुर की झुन,
साँझ का सलोना-सा
गीत रहे बुन!
सुन, ओ सरस! सुन ...
बादल सहलाते हैं,
बादल की शाल तले
चाँद जी सुहाते हैं!
चंदनिया छेड़ रही
लोरी की धुन!
सुन, ओ सरस! सुन ...
तारे भी आएँगे,
अंबर के आँगन में
चाँदी बिखराएँगे!
निंदिया के गाँव चल
सपने लें चुन!
सुन, ओ सरस! सुन ...
अरविंद राज (सरस पायस के चाचा)
डेढ़ साल का "सरस पायस" : 1997 में लिया गया चित्र)
8 टिप्पणियां:
सुन्दर सा बाल गीत और प्यारे-प्यारे चित्र.
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बहुत सुन्दर गीत!!
बहुत प्यारा गीत.. और सरस तो है की अच्छा..
प्यार...
मन प्रसन्न हो गया यह गीत पढ़कर...बधाई.
बहुत ही सुंदर गीत जी. धन्यवाद
bahut hi man ko bhaya yah aapka sundar sa ,pyara sa balgeet.
poonam
बहुत सुन्दर बाल गीत....चित्र भी बहुत खूबसूरत है
झरोखा (JHAROKHA) की टिप्पणी को लिप्यांतरण -
बहुत ही मन को भाया यह आपका सुंदर सा,
bahut hi man ko bhaya yah aapka sundar sa,
प्यारा सा बालगीत।
pyara sa balgeet.
पूनम
poonam
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