"सरस पायस" पर सभी अतिथियों का हार्दिक स्वागत है!

सोमवार, अगस्त 02, 2010

कितने अच्छे : ममता भारती की शिशुकविता

कितने अच्छे


बेहद प्यारे-प्यारे लगते
हैं मुर्गी के बच्चे।
रंग दूधिया-सा है इनका,
दिखते कितने अच्छे।

मिलकर रहते संग सभी ये,
झगड़ा कभी न करते।
भूख लगे तो बहुत मज़े से,
दाना चुगने लगते।

सुबह-सुबह जल्दी उठ जाते,
जल में ख़ूब नहाते।
जब तक इनका बचपन रहता,
ये चूज़े कहलाते।


ममता भारती

10 टिप्‍पणियां:

राज भाटिय़ा ने कहा…

सची मै बहुत प्यारे है जी आप की कविता की तरह से.
धन्यवाद

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत प्यारा गीत ...

माधव( Madhav) ने कहा…

बहुत सुन्दर कविता

Ranjan ने कहा…

aadi ko bhi bahut pasand hai chuje.. delhi main kabutar ke bachche khub dekhtaa thaa....

see this post. http://aadityaranjan.blogspot.com/2009/03/blog-post_20.html

राजभाषा हिंदी ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति।
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।

डॉ. देशबंधु शाहजहाँपुरी ने कहा…

BAHUT PYARE PHOTO HAI..AUR BAHUT PYARI RACHNA BHI..BAHUT BAHUT BADHAI...

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

कित्ते प्यारे-प्यार चूजे...मन खुश हो गया देखकर.

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

एक संदेश ई-मेल से -

यस आज कल मुर्गी के बच्चे ही अच्छे लगते हैं।
YES AAJ KAL MURGI KE BACHCHE HI ACHCHE LAGTE H.

रमेश सचदेव
RAMESH SACHDEVA

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

रंजन (Ranjan) की टिप्पणी का लिप्यांतरण -

आदि को भी चूज़े बहुत पसंद हैं..
aadi ko bhi bahut pasand hai chuje..
दिल्ली में कबूतर के बच्चे ख़ूब देखता था....
delhi main kabutar ke bachche khub dekhtaa thaa....

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

डॉ. देशबंधु शाहजहाँपुरी की टिप्पणी का लिप्यांतरण -

बहुत प्यारे फ़ोटो हैं..
BAHUT PYARE PHOTO HAI..

और बहुत प्यारी रचना है..
AUR BAHUT PYARI RACHNA BHI..

बहुत बहुत बधाई...
BAHUT BAHUT BADHAI...

Related Posts with Thumbnails

"सरस पायस" पर प्रकाशित रचनाएँ ई-मेल द्वारा पढ़ने के लिए

नीचे बने आयत में अपना ई-मेल पता भरकर

Subscribe पर क्लिक् कीजिए

प्रेषक : FeedBurner

नियमावली : कोई भी भेज सकता है, "सरस पायस" पर प्रकाशनार्थ रचनाएँ!

"सरस पायस" के अनुरूप बनाने के लिए प्रकाशनार्थ स्वीकृत रचनाओं में आवश्यक संपादन किया जा सकता है। रचना का शीर्षक भी बदला जा सकता है। ये परिवर्तन समूह : "आओ, मन का गीत रचें" के माध्यम से भी किए जाते हैं!

प्रकाशित/प्रकाश्य रचना की सूचना अविलंब संबंधित ईमेल पते पर भेज दी जाती है।

मानक वर्तनी का ध्यान रखकर यूनिकोड लिपि (देवनागरी) में टंकित, पूर्णत: मौलिक, स्वसृजित, अप्रकाशित, अप्रसारित, संबंधित फ़ोटो/चित्रयुक्त व अन्यत्र विचाराधीन नहीं रचनाओं को प्रकाशन में प्राथमिकता दी जाती है।

रचनाकारों से अपेक्षा की जाती है कि वे "सरस पायस" पर प्रकाशनार्थ भेजी गई रचना को प्रकाशन से पूर्व या पश्चात अपने ब्लॉग पर प्रकाशित न करें और अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित न करवाएँ! अन्यथा की स्थिति में रचना का प्रकाशन रोका जा सकता है और प्रकाशित रचना को हटाया जा सकता है!

पूर्व प्रकाशित रचनाएँ पसंद आने पर ही मँगाई जाती हैं!

"सरस पायस" बच्चों के लिए अंतरजाल पर प्रकाशित पूर्णत: अव्यावसायिक हिंदी साहित्यिक पत्रिका है। इस पर रचना प्रकाशन के लिए कोई धनराशि ली या दी नहीं जाती है।

अन्य किसी भी बात के लिए सीधे "सरस पायस" के संपादक से संपर्क किया जा सकता है।

आवृत्ति