"सरस पायस" पर सभी अतिथियों का हार्दिक स्वागत है!

गुरुवार, सितंबर 23, 2010

मैं हूँ किशन कन्हइया : शुभम् सचदेव की शिशुकविता

मैं हूँ किशन कन्हइया


करता माखन चोरी,
सुनता मीठी लोरी!

मुरली मधुर बजाता,
गइया रोज़ चराता!


मैं हूँ किशन कन्हइया,
यशुदा मेरी मइया!

मुझे प्यार से जो पुकारता,
मैं उसका हो जाता!


♥♥ शुभम् सचदेव ♥♥
--------------------------------------------------------------------------------
चित्रों में हैं : शुभम् सचदेव अपनी दोस्त ऋतिका के साथ
और उनकी छायाकार हैं, उनकी माँ : सीमा सचदेव
--------------------------------------------------------------------------------

4 टिप्‍पणियां:

रंजन ने कहा…

बहुत प्यारा है..

Manju Gupta ने कहा…

कविता बहुत प्यारी
फोटो अति न्यारी .

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना है!
--
मगर किशन कन्हइया का
योगीराज वाला गुण जरूर अपनाना!

निर्मला कपिला ने कहा…

शुभम को बहुत दिनो बाद देखा है। उसे बहुत सारा प्यार कविता बहुत अच्छी लगी। सीमा जी[ शुभम ] के ब्लाग का लिन्क दे सकें तो कृपा होगी। धन्यवाद।

Related Posts with Thumbnails

"सरस पायस" पर प्रकाशित रचनाएँ ई-मेल द्वारा पढ़ने के लिए

नीचे बने आयत में अपना ई-मेल पता भरकर

Subscribe पर क्लिक् कीजिए

प्रेषक : FeedBurner

नियमावली : कोई भी भेज सकता है, "सरस पायस" पर प्रकाशनार्थ रचनाएँ!

"सरस पायस" के अनुरूप बनाने के लिए प्रकाशनार्थ स्वीकृत रचनाओं में आवश्यक संपादन किया जा सकता है। रचना का शीर्षक भी बदला जा सकता है। ये परिवर्तन समूह : "आओ, मन का गीत रचें" के माध्यम से भी किए जाते हैं!

प्रकाशित/प्रकाश्य रचना की सूचना अविलंब संबंधित ईमेल पते पर भेज दी जाती है।

मानक वर्तनी का ध्यान रखकर यूनिकोड लिपि (देवनागरी) में टंकित, पूर्णत: मौलिक, स्वसृजित, अप्रकाशित, अप्रसारित, संबंधित फ़ोटो/चित्रयुक्त व अन्यत्र विचाराधीन नहीं रचनाओं को प्रकाशन में प्राथमिकता दी जाती है।

रचनाकारों से अपेक्षा की जाती है कि वे "सरस पायस" पर प्रकाशनार्थ भेजी गई रचना को प्रकाशन से पूर्व या पश्चात अपने ब्लॉग पर प्रकाशित न करें और अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित न करवाएँ! अन्यथा की स्थिति में रचना का प्रकाशन रोका जा सकता है और प्रकाशित रचना को हटाया जा सकता है!

पूर्व प्रकाशित रचनाएँ पसंद आने पर ही मँगाई जाती हैं!

"सरस पायस" बच्चों के लिए अंतरजाल पर प्रकाशित पूर्णत: अव्यावसायिक हिंदी साहित्यिक पत्रिका है। इस पर रचना प्रकाशन के लिए कोई धनराशि ली या दी नहीं जाती है।

अन्य किसी भी बात के लिए सीधे "सरस पायस" के संपादक से संपर्क किया जा सकता है।

आवृत्ति