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गुरुवार, अक्तूबर 14, 2010

चलता बहुत मटककर : रावेंद्रकुमार रवि का नया शिशुगीत

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चलता बहुत मटककर
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टिक-टिक-टिक-टिक, टिक-टिक-टिक-टिक,
चले दौड़कर घोड़ा टिक-टिक!


मज़ेदार है सुंदर घोड़ा,
चलता बहुत मटककर!
रोज़ सुबह रसगुल्ले खाता,
मट्ठा पीता जमकर!

कभी नहीं यह करता चिक-चिक,
चले दौड़कर घोड़ा टिक-टिक!


जब चलता है दो पैरों पर,
कंधे पर बैठाता है!
जभी लेट जाता यह घोड़ा,
गद्दे-जैसा भाता है!

हँसता रहता, करे न झिक-झिक,
चले दौड़कर घोड़ा टिक-टिक!




यह गीत मैंने अपने और आदित्य के पिछले जन्म-दिन (२ मई २०१०) पर रचा था!
तब इसकी दूसरी स्थाई पंक्ति यह थी : चले आदि का घोड़ा टिक-टिक!
इसको प्रकाशित करने के बारे में सोचता ही रहा,
क्योंकि दूसरे पद की बीचवाली पंक्तियाँ कुछ जम नहीं रही थीं!
चारों पैरों पर जब चलता, पीठी पर बैठाता है!
२० जून २०१० को अचानक मुझे पाखी का घोड़ा नज़र आया!
यह घोड़ा भी मुझे बहुत अच्छा लगा,
क्योंकि इसने लेटकर मेरी समस्या का समाधान कर दिया!
उसके बाद चौथा और पाँचवा चित्र भेजकर
रंजन मोहनोत जी और कृष्णकुमार यादव जी ने
मेरी मदद करके इस सरसगीत की शोभा बढ़ा दी!
मुझे पूरा भरोसा है कि आदि और पाखी के साथ-साथ
दुनिया के सभी नन्हे दोस्त इस गीत को गाकर ख़ुश हो सकेंगे!
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रावेंद्रकुमार रवि
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16 टिप्‍पणियां:

राज भाटिय़ा ने कहा…

वाह बच्चो बहुत सुंदर घोडे लगे तुम लोगो के बहुत मस्ती भरे, ओर रवि अंकल ( अकंल आप बच्चो के ) ने कविता भी बहुत सुंदर लिखी, धन्यवाद.
आप ओर आप के परिवार को, ओर सभी बच्चो को दुर्गाष्टमी की बधाई

ASHOK BAJAJ ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति .

श्री दुर्गाष्टमी की बधाई !!!

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

बहुत ही सुंदर बाल कविता ......रवि अंकल

रानीविशाल ने कहा…

बहुत सुन्दर गीत मामासाब......धन्यवाद !
अनुष्का

रंजन ने कहा…

बहुत सुन्दर.. सुबह सुबह ये देख दिल खुश हो गया...

धन्यवाद..

Chinmayee ने कहा…

बहुत सुन्दर गीत है....

मै भी बाबा का हमेशा घोडा बनाती हू :)

माधव( Madhav) ने कहा…

बहुत सुन्दर , चित्र तो लाजबाब है

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

हँसता रहता, करे न झिक-झिक,
चले दौड़कर घोड़ा टिक-टिक!

...कित्ती प्यारी कविता बनाई आपने. पापा लोगों को घोडा बनाकर मैंने व आदि ने कित्ते प्यारे-प्यारे पोज दिए हैं...है ना.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

कविता शानदार है!
चित्र जानदार हैं!
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आपकी पोस्ट की चर्चा बाल चर्चा मंच पर भी की गई है!
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/10/23.html

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

मेल से प्राप्त संदेश -

कविता खूबसूरत है!

गिरिजा कुलश्रेष्ठ (ग्वालियर)

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

मेल से प्राप्त संदेश -

सुंदर कविता है व चित्र भी।
sundar kavita hai v chitr bhi.
साधुवाद।
sadhubad.

दिनेश पाठक शशि (मथुरा)

डॉ. नागेश पांडेय संजय ने कहा…

अच्छे चित्रों के साथ अच्छी कविता।

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

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ऐसा ही एक घोड़ा यहाँ भी पाया गया -
लाडली का घोड़ा!

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रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

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ऐसा ही एक घोड़ा यहाँ भी है -
मीशा का घोड़ा!

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रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

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एक मज़ेदार घोड़ा यह भी है -
माधव का घोड़ा!

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Rishikant Prakash ने कहा…

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