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शुक्रवार, मई 27, 2011

कमल खिल रहा : रावेंद्रकुमार रवि का नया बालगीत

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अँधेरा घिरने लगा था!
आज हम फिर उसी पार्क में गए!
कमल-कुंज के पास पहुँचे,
तो हमारा मन ख़ुशियों से भरकर खिल उठा!
मेढकों के साथ-साथ दो खिलते हुए कमल
हमारा स्वागत कर रहे थे!
हम दोनों उनकी सुंदरता आपने साथ ले आए!
आप भी देखिए और ख़ुश होकर गुनगुनाइए यह गीत! 
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कमल खिल रहा 
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कमल खिल रहाकमल खिल रहा! 
कमल खिल रहा हँसता-गाता! 


इसकी मधु-मुस्कान देखकर
मन ख़ुशियों से भर-भर जाता! 
कमल खिल रहा हँसता-गाता! 


ज्यों-ज्यों बढ़ती रात सुहानी
इसका रूप निखरता जाता!
कमल खिल रहा हँसता-गाता! 


धवल चाँदनी इसे हँसाती
चंदा इसको गीत सुनाता!
कमल खिल रहा हँसता-गाता! 

 

इसके साथ खेलता मेढक
खेल-खेल में वह भी गाता! 
कमल खिल रहा हँसता-गाता! 


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रावेंद्रकुमार रवि 
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11 टिप्‍पणियां:

Kashvi Kaneri ने कहा…

. बहुत ही सुन्दर और प्यारा-प्यारा गीत है ….धन्यवाद

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर बालगीत....

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

कमल की तरह से खिलता हुआ सरस बालगीत!

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

सुंदर फोटो और प्यारा गीत

shyam gupta ने कहा…

हे भगवान ! क्या कमल अब रात में भी खिलने लगा.!!!!!!!!!!!!!!!!

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी ने अपने ललित निबंध
.
महाकवि माघ का प्रभात वर्णन!
.
में स्पष्ट लिखा है -
.
जब कमल शोभित होते हैं, तब कुमुद नहीं, और जब कुमुद शोभित होते हैं तब कमल नहीं। दोनों की दशा बहुधा एक सी नहीं रहती। परन्तु इस समय, प्रातःकाल, दोनों में तुल्यता देखी जाती है। कुमुद बन्द होने को है; पर अभी पूरे बन्द नहीं हुए। उधर कमल खिलने को है, पर अभी पूरे खिले नहीं। एक की शोभा आधी ही रह गयी है, और दूसरे को आधी ही प्राप्त हुई है। रहे भ्रमर, सो अभी दोनों ही पर मंडरा रहे हैं और गुंजा रव के बहाने दोनों ही के प्रशंसा के गीत से गा रहे हैं। इसी से, इस समय कुमुद और कमल, दोनों ही समता को प्राप्त हो रहे हैं।
.
हो सकता है कि यह फूल कुमुद का हो,
जिसे कमल समझकर मेंने यह गीत रचा!

जीवन और जगत ने कहा…

सच है, रात में कमल नहीं कमलिनी खिलती है जिसे कुमुदिनी और हमारे यहां गांवों में 'कोकाबेली' के नाम से भी जाना जाता है। खैर, फूल के खिलने की प्राकृतिक प्रक्रिया को चित्रों की श्रृंखला के माध्‍यम से बहुत अच्‍छी तरह दर्शाया है आपने।

Chinmayee ने कहा…

बहुत सुन्दर कमल के फोटो और उसका गीत !

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

आज सारा भ्रम दूर हो गया!
--
यह फूल कमल का नहीं है, कुमुद का है!
--
अँधेरा होने के कुछ देर पहले
हमें यह कली के रूप में मिला!
--
अँधेरा होने तक लगभग २० मिनट में
यह पूरा खिल गया!
--
डॉ. रूपचंद्र शास्त्री मयंक के साथ
मैंने इस अनोखी प्राकृतिक घटना के
५० फ़ोटो खींचे!
--
जल्दी ही इन्हें फ़ोटो-फ़ीचर के रूप में
सरस पायस पर प्रकाशित किया जाएगा!
--
अब आप इस गीत को
कुमुद खिल रहा
करके भी गा सकते हैं!

डॉ. नागेश पांडेय संजय ने कहा…

उम्दा प्रस्तुति के लिए बधाई .

बेनामी ने कहा…

बहुत सुन्दर तस्वीरें और गीत..

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