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मंगलवार, जून 14, 2011

ऐसी खुशी मिली मुझको : रावेंद्रकुमार रवि की नई बालकविता

२०२वीं पोस्ट

ऐसी ख़ुशी मिली मुझको


नाना के आने पर जैसे
ख़ुश हो जाए नाती!
या फिर किसी दूर के साथी
की आ जाए पाती!

ऐसी ख़ुशी मिली मुझको
जब खिला फूल उस डाली पर,
जिसका पेड़ लगाया था
मैंने पिछली दीवाली पर!

आईं सूरज की किरणें भी
उसे चूमकर चमकाने!
और हवा के झोंके आए
उसे प्यार से लहराने!

तितली भी आई बतियाने
बहुत प्यार से सज-धजकर!
खुश हो-होकर पर फैलाए
नाची-ठुमकी रुक-रुककर!

भौंरे और मधुमुखी ने
उसको मधु सुर में गीत सुनाए!
जिनसे सरस हुआ, खुश हो
वह भी नाचा पंखुरी उठाए!


रावेंद्रकुमार रवि

8 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

202वीं पोस्ट की बधाई!
रचना और चित्र बहुत जीवन्त हैं!

डॉ. नागेश पांडेय संजय ने कहा…

पर्यावरण को लेकर अच्छी और उपमात्मक कविता .



कहाँ है तेरा घर ?

Kashvi Kaneri ने कहा…

तितली भी आई बतियाने
बहुत प्यार से सज-धजकर!
खुश हो-होकर पर फैलाए
नाची-ठुमकी रुक-रुककर!

बहुत सुन्दर और प्यारी कविता....धन्यवाद
202वीं पोस्ट की बधाई!....

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना..२००वीं पोस्ट की बधाई..

Chinmayee ने कहा…

बधाई भैया ..लिखते रहिये

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत सुन्दर कविता.....202वीं पोस्ट की बधाई...

दीनदयाल शर्मा ने कहा…

सुन्दर कविता.....202वीं पोस्ट की बधाई...

Parthvi ने कहा…

बहुत सुंदर

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