सरस्वती माँ की हे बच्चो,
क्यों हम सब पूजा करते हैं?
इनके हंस-मोर हैं कैसे?
क्यों बैठीं ये श्वेत कमल पर?
माँ के कर में वीणा क्यों है?
श्वेत वस्त्र क्यों धारण करतीं?
माला-पुस्तक लिए हाथ में,
क्या हमको समझाती रहतीं?
जैसे जल ना टिके कमल पर,
बैर-भावना टिके न मन में!
कभी बुराई जगह न पाए,
श्वेत वस्त्र से निर्मल मन में!
मोर विषैले सर्प निगलता,
फिर भी रंग-बिरंगा मनहर!
करे बुराई दूर सदा जो,
बनता उसका तन-मन सुंदर!
वीणा मीठे सुर सजवाती,
तुम भी मीठे बोल सुनाओ!
पढ़ो पुस्तकें ज्ञान बटोरो,
फिर सारे जग में फैलाओ!
माला के मनकों के जैसा -
रखो एकता का तुम ध्यान!
अच्छा-बुरा परखने के हित,
बन जाओ तुम, हंस समान!
सरस्वती माँ की हे बच्चो,
इसीलिए हम पूजा करते!
वे देती हैं ज्ञान हमें, हम
उनको सदा नमन हैं करते!
-- डॉ. श्याम गुप्त --
सुश्यानिदी, के-348, आशियाना,
लखनऊ, उत्तर प्रदेश - 226012 (भारत)
8 comments:
15 टिप्पणियां:
धन्यवाद, रावेन्द्र जी,,मां का चित्र बहुत प्यारा है, चित्रकार को बधाई दें
सुन्दर वन्दन!
"सरस्वती माता का सबको वरदान मिले,
वासंती फूलों-सा सबका मन आज खिले!
खिलकर सब मुस्काएँ, सब सबके मन भाएँ!"
--
क्यों हम सब पूजा करते हैं, सरस्वती माता की?
लगी झूमने खेतों में, कोहरे में भोर हुई!
--
संपादक : सरस पायस
बच्चों ही नहीं, बड़ों के लिए भी एक प्रेरणा दायक गीत। आभार।
आपको और आपके परिवार को वसंत पंचमी और सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने!
olवसंत पंचमी के अवसर पर सुंदर रचना पढवाने के लिए धन्यवाद !!
Raveendra ji, mugdh kar diya aapki titli(larva) ki photo ne...
sath hi itni khoobsoorat vandana padhane ke liye aabhar...
Jai Hind...
बहुत सुन्दर बाल गीत....बधाई
saraswati man ko samarpit ati sunder baalgeet. aabhaar.
ज्ञानदायिनी मातु का जो धरते हैं ध्यान!
माता उनके हृदय में भर देती हैं ज्ञान!!
आपको और आपके परिवार को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत सुन्दर रचना
बहुत बहुत आभार
बहुत सुन्दर बाल गीत....बधाई
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