शुक्रवार, अक्तूबर 22, 2010
मैं हूँ मधुमक्खी मस्तानी : रावेंद्रकुमार रवि की बालकविता
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9 टिप्पणियां:
फूल मुझे अच्छे लगते हैं,
इनमें मेरे प्राण सरसते!
मेरा मन हर्षित होता है,
जब भी ये खिल-खिलकर हँसते!
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वाह, कित्ती प्यारी कविता..मीठी -मीठी. इसमें तो मैं भी दिख रही हूँ. रवि अंकल जी को ढेर सारा प्यार और आभार !!
बहुत सुन्दर कविता है!
--
बहुत ही मिठास भरी कविता है.... रवि अंकल..
मधुमक्खी बहुत अच्छी लगी। शुभकामनायें।
बहुत ही सुन्दर रचना ....धन्यवाद !
नन्ही ब्लॉगर
अनुष्का
मेल से प्राप्त संदेश -
भाई रवि जी, नमन।
Bhai Ravi ji, naman.
मधुमक्खी के ऊपर सुंदर बालगीत है आपका।
madhumakkhi k upar sundar bal geet hai aapka.
डॉ.दिनेश पाठक शशि। मथुरा।
Dr.Dinesh Pathak Shashi. mathura.
बहुत सुन्दर बाल कविता
मधुमक्खी के शहद जितनी मीठी कविता.....।
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