शुक्रवार, फ़रवरी 18, 2011
मीठे सपनों में खोई है : रावेंद्रकुमार रवि का नया बालगीत
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11 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर बालगीत!
यह रचा तो बच्चों के लिए गया है
मगर इसे हम जैसे बूढ़ों को भी
गुनगुनाने में आनन्द आ रहा है!
बड़ा प्यारा लिखते हो भाई ...
शुभकामनायें !
बहुत सुन्दर बालगीत|
चित्र भी बहुत प्यारा है|
बहुत सुन्दर बालगीत.....
वाह अंकल जी, आपने तो बहुत सुन्दर शिशु-गीत लिखा है. मेरे बाद अब तन्वी पर भी...आभार और प्यार.
______________________________
'पाखी की दुनिया' : इण्डिया के पहले 'सी-प्लेन' से पाखी की यात्रा !
बहुत सलोनी मेरी बहना,
मीठे सपनों में खोई है!
....वाह भाई, तन्वी जी तो मम्मी की गोद में मस्ती से सो रही हैं और इधर 'रवि' का कवि-मन उसे शब्दों में गूँथ रहा है...अद्भुत !!
इस अनुपम गीत के लिए 'रवि' जी के साथ-साथ के.के. भाई, आकांक्षा जी, पाखी और तन्वी बिटिया को हार्दिक बधाइयाँ. आप सभी यूँ ही सृजन कर्म में प्रवृत्त हों और ब्लॉग जगत को नए आयाम दें.
रोचक ।
सरस हवा का झोंका आकर,
लोरी इसे सुनाएगा जब!
धीरे से हँसता इसका मुख,
सबके मन को भाएगा तब!
...हमारे मन को तो बहुत भाया...शुभकामनायें.
बहुत सुन्दर और सहज भावाभिव्यक्ति...बिटिया पाखी और तन्वी के प्रति आपके स्नेह के लिए आभार.
ati sunder .......
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