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रविवार, फ़रवरी 20, 2011

भाईचारा हमें सिखाती : रावेंद्रकुमार रवि की नई बालकविता

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 भाईचारा हमें सिखाती 
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मेरी "नयना" इस मैना को,
हलुआ-पूरी रोज़ खिलाती!
सुंदर बहुत पंख हैं इसके,
हम सबको यह बहुत लुभाती!



चोंच उठाकर चलते नल से,
गट-गटकर पी लेती पानी!
फुदक-फुदककर जब यह चलती,
लगती है चिड़ियों की रानी!




अपनी मीठी बोली से यह,
हम सबका मन 
है हर्षाती! 
रहती है समूह में हिलमिल,
भाईचारा 
हमें सिखाती!

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  ♥♥ रावेंद्रकुमार रवि ♥♥
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9 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत बढ़िया!
मगर यह तो सभी से बहुत लड़ती-झगड़ती है।

डॉ. नागेश पांडेय संजय ने कहा…

अलग रंग ढंग की कविता । वाह ।

डॉ. नागेश पांडेय संजय ने कहा…

नया मुखपृष्ठ बहुत सुंदर । बधाई हो बधाई ।

बेनामी ने कहा…

अंकल , हमेशा की तरह प्यारी रचना के लिए बधाई ।

निर्मला कपिला ने कहा…

सुन्दर बाल कविता। आभार।

Patali-The-Village ने कहा…

हमेशा की तरह प्यारी रचना| धन्यवाद|

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

सुन्दर कविता.......

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सुन्दर कविता ..

बेनामी ने कहा…

पहले भी कई बार कहा है.. आज भी कहता हूँ.. गीत के साथ साथ आपकी प्रजेंटेशन भी बहुत लाजवाब होती है..

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