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बुधवार, नवंबर 24, 2010

राज्य स्तरीय बाल विज्ञान कांग्रेस कोटद्वार में


क्त पोस्ट में था कि राजकीय कन्या इंटर कॉलेज,
पंतनगर में ०९ नवंबर २०१० को संपन्न हुई जिला-स्तरीय प्रतियोगिता में

खटीमा के जूनियर वर्ग के तीनों बालवैज्ञानिकों
(जागृति, ललिता और सरोजनी)
ने राज्य-स्तरीय प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने के लिए
इस प्रतियोगिता में भी सफलता प्राप्त कर ली है!


कल सुबह ये तीनों मेरे साथ
बाल विज्ञान कांग्रेस के अनुभव शोध-प्रपत्रों की
राज्य-स्तरीय प्रतियोगिता
में प्रतिभाग करने के लिए जा रहे हैं!
यह प्रतियोगिता २६ व २७ नवंबर २०१० को
राजकीय बालिका इंटर कॉलेज, कोटद्वार (पौड़ी गढ़वाल) में संपन्न होगी!
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पंतनगर से फ़ोटोग्राफ़ आ गए हैं! आप भी देखिए!

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मेरी पूरी कोशिश रहेगी कि कोटद्वार से भी ऐसे ही फ़ोटो लेकर आऊँ!
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रावेंद्रकुमार रवि
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सोमवार, नवंबर 22, 2010

सुंदर फूल खिलाए किसने : सरस चर्चा (21)

इस बार सरस चर्चा में सबसे पहले है

बाल-दुनिया पर प्रदर्शित झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई का एक दुर्लभ फ़ोटो!

159 साल पहले अर्थात् वर्ष 1850 में कोलकाता में रहनेवाले

एक अँगरेज़ फ़ोटोग्राफ़र

जॉनस्टोन एंड हॉटमैन ने इसे खींचा था।



इस फ़ोटो को 19 अगस्त, 2009 को

भोपाल में आयोजित विश्व फ़ोटोग्राफ़ी प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया था।


और इसके बाद यह प्यारा-सा सवाल!


तितली को सुन्दर रंगों के

ये कपड़े पहनाए किसने,

ठण्डी-ठण्डी हवा चलाई

सुन्दर फूल खिलाए किसने?



- इस सवाल को पूछनेवाले हैं -

रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’


नया-नया हवाई जहाज!


नई-नई साइकिल! ये दोनों चीज़ें पाकर माधव बहुत ख़ुश है!


छठ पूजा पर सबने सूर्य भगवान की पूजा की! और इशिता ने ... ... .


अरे, इन पेड़ों को क्या हो गया?


ऐसे में चैतन्य का क्या हाल है? ख़ुद ही देख लीजिए!


अभी सुनिए, देखिए और अनुष्का को बताइए!
आपको कैसा लगा उसका गाना?


चुलबुल के बनाए इस चित्र में क्या हो रहा है?


अक्षयांशी के पास आजकल बहुत काम है!
इसलिए वह अपने ब्लॉग पर कम आ पा रही है!


पाखी आजकल नाना-नानी के साथ ख़ूब मस्ती कर रही है!


नन्हे सुमन पर डॉ. रूपचंद्र शास्त्री मयंक की एक सुंदर-सी कविता लगी है!

सुन्दर-सुन्दर गाय हमारी।
काली गइया कितनी प्यारी।।

black cow_1

- अंत में पढ़िए : मेरी एक बालकविता -

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कलाबाजियाँ ख़ूब दिखाती
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जब भी वो ज़्यादा ख़ुश होती,
कलाबाजियाँ ख़ूब दिखाती!
मुझे रिझाने को वो अक्सर
‘चिक-चिक’ करके मुझे बुलाती!
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रावेंद्रकुमार रवि
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शनिवार, नवंबर 20, 2010

कलाबाजियाँ ख़ूब दिखाती : रावेंद्रकुमार रवि की बालकविता

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कलाबाजियाँ ख़ूब दिखाती
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मैंने पाली एक गिलहरी,
भोली-भाली, झबरी-झबरी!
चमकीली आँखें हैं जिसकी,
मूँछ-पूँछ हैं बहुत सुनहरी!


मेरे कमरे में वो दिन-भर
इधर-उधर है फुदका करती!
अनजाना कोई आए तो
झट मेरी गोदी में छुपती!


सुबह मुझे वो जल्द उठाती,
‘टिर्र-टिर्र’कर गीत सुनाती!
बिस्किट जब देता मैं उसको,
अपने नन्हे हाथ बढ़ाती!


जब भी वो ज़्यादा ख़ुश होती,
कलाबाजियाँ ख़ूब दिखाती!
मुझे रिझाने को वो अक्सर
‘चिक-चिक’ करके मुझे बुलाती!

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रावेंद्रकुमार रवि
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गुरुवार, नवंबर 18, 2010

चूहे ने बंदूक उठाई : प्रदीप सिंह की शिशुकविता

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चूहे ने बंदूक उठाई



चूहा ले आया बंदूक,
सोचा, अब ना होगी चूक। 

बिल्ली ना आएगी पास,
कर बैठा वो ऐसी आस। 

ज्यों ही बिल्ली पड़ी दिखाई,
 चूहे ने बंदूक उठाई। 

पर उसकी यह समझ न आए, 
गोली कैसे डाली जाए?

बिल्ली ने जब दाँत दिखाए,
भागा तब वह पूँछ दबाए।
My Photo

प्रदीप सिंह 
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