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गुरुवार, मार्च 04, 2010

ख़ूब रसीला : संगीता स्वरूप की एक शिशु कविता

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ख़ूब रसीला
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गोल-गोल है लाल टमाटर,
सबके मन को भाता
है
स्वाद बढ़ाता सब्जी का,
जब
उसमें डाला जाता है ।

खट्टा -मीठा, ख़ूब रसीला,
मन होता खाते जाएँ ।
रंगत लाल टमाटर-जैसी,
अपने
गालों पर पाएँ
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संगीता स्वरूप
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10 टिप्‍पणियां:

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

waaaaaaah bahut badhiya he ye tamatar to...aur kya pic.chuni hai ek dam tandrust tamatar ki...jise dekhte hi man kar jaye.
badhayi.

shikha varshney ने कहा…

वाह रसीली कविता एकदम टमाटर जैसी

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत सुंदर रचना !!

M VERMA ने कहा…

वाह सुन्दर रचना

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बढ़िया/

ज्योति सिंह ने कहा…

is tamatar ki sundarata ke to kya kahne

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

आपकी यह कविता पढ कर मेरा मन भी ट्माटर खाने को कर गया। पूनम

संजय भास्‍कर ने कहा…

वाह रसीली कविता एकदम टमाटर जैसी

Paise Ka Gyan ने कहा…

Amarnath Mandir
Lal Qila
Jhansi Ka Kila
Bhagat Singh in Hindi
Subhas Chandra Bose in Hindi
Swami Vivekananda in Hindi

Paise Ka Gyan ने कहा…

Sardar Vallabhbhai Patel In Hindi
Sant Gadge Baba
Reference Book in Hindi
Indoor Game in Hindi
UNESCO in Hindi
Fiber Optics in Hindi

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