शुक्रवार, मार्च 19, 2010
मेरी शोभा प्यारी है : रावेंद्रकुमार रवि का नया बालगीत
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9 टिप्पणियां:
काँटों की शैय्या पर भी कोमल गुलाब मुस्काता!
पर मानव मन कितना दुर्बल दुःख देख घबराता!!
बहुत सुन्दर बाल गीत है!
खुशबू भरी प्यारी बाल कविता....सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
बहुत सुंदर कविता धन्यवाद
बहुत सुन्दर गीत मैने गुलाब को यही गीत गाते सुना है ..।
मैं जब खिलता हूँ मुस्काकर,
सज जाती फुलवारी है!
मेरे-जैसी बस दुनिया में,
बच्चों की किलकारी है!
रावेन्द्र जी,बहुत सुन्दर बालगीत---अपने अन्दर गुलाब की खुशबू समाहित किये हुये। हार्दिक बधाई। हिन्दी राइटर की गड़बड़ी के कारण टिप्पणी फ़िर से लिखनी पड़ी।
मेरे आगे फीकी सारे,
रंगों की पिचकारी है!
कितनी सच्ची बात! सच है, बगिया में गुलाब हो तो और किसी फूल की ओर ध्यान ही नही जाता. सुन्दर.
बहुत सुन्दर बाल-गीत.
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