"सरस पायस" पर सभी अतिथियों का हार्दिक स्वागत है!

रविवार, मई 09, 2010

अपनी माँ का मुखड़ा : रावेंद्रकुमार रवि का एक बालगीत




♥♥


अपनी माँ का मुखड़ा 


मुझको सबसे अच्छा लगता - 
अपनी माँ का मुखड़ा! 

कल-कल करती नदिया अच्छी, 
पंछी की सुरलहरी अच्छी, 
हर मंदिर की घंटी अच्छी, 
मेघों की सरगम भी अच्छी! 
लेकिन मुझको अच्छी लगती - 
अपनी माँ की मीठी लोरी, 
जो हर लेती 
पल-भर में ही 
मेरा सारा दुखड़ा! 
मुझको सबसे अच्छा लगता - 
अपनी माँ का मुखड़ा! 

सुबह-शाम का सूरज अच्छा, 
चाँद निकलता-छुपता अच्छा, 
चम-चम करता तारा अच्छा, 
बगिया का हर फुलवा अच्छा! 
लेकिन मुझको अच्छी लगती - 
अपनी माँ की हँसी रस-भरी, 
जिसे देखकर 
मैं लगता हूँ 
उसके दिल का टुकड़ा!
मुझको सबसे अच्छा लगता - 
अपनी माँ का मुखड़ा! 
-------------
रावेंद्रकुमार रवि 

21 टिप्‍पणियां:

nilesh mathur ने कहा…

बहुत ही सुन्दर गीत है, हर माँ को मेरा नमन!

अजय कुमार ने कहा…

सुंदर रचना ।

संसार की समस्त माताओं को नमन

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

ek manoram rachna. pavitrta k bhaav liye hue.badhayi.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

माँ के प्रति बहुत सुन्दर भावों से सजा ये गीत बहुत अच्छा लगा....

सुन्दर अभिव्यक्ति

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

बहुत ही सुन्दर गीत !!

मदर्स डे ki बधाई . आज ममा लोगों का दिन है, सो कोई शरारत नहीं केवल प्यार और प्यार !!

MAYUR ने कहा…

सुन्दर गीत, माँ को प्रणाम , आज सुबह सुबह दो गीत सुने

१. माँ , मेरी माँ - दसविदानिया
२. चंदा है तू, मेरा सूरज है तू - आराधना

मेरी माँ ने मुझे बड़ी तमन्ना से पढाया है, और आज मै जो भी हूँ, सब उनका ही हूँ, माँ तुम्हे प्रणाम

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

अर्चना तिवारी ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति....मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ !!

असलम ख़ान ने कहा…

मां तुझे सलाम

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

पीड़ा को सहकर जिसने दुनिया में हमें उतारा,
माता को अपना शिशु सबसे ज्यादा होता प्यारा,
कोटि-कोटि माँ का आभार!
हम उस माँ को करते प्यार!!
--
मातृ-दिवस पर सुन्दर और मनभावन गीत!

M VERMA ने कहा…

मुझको सबसे अच्छा लगता -
अपनी माँ का मुखड़ा!
क्योंकि माँ माँ होती है
बच्चो के लिये जाँ होती है

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर बल गीत धन्यवाद

Ra ने कहा…

सुबह-शाम का सूरज अच्छा,
चाँद निकलता-छुपता अच्छा,
चम-चम करता तारा अच्छा,
बगिया का हर फुलवा अच्छा!
लेकिन मुझको अच्छी लगती -
अपनी माँ की हँसी रस-भरी

बहुत सुंदर बल गीत...हर माँ को मेरा शत-शत नमन

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

इस बालगीत से प्रेरित होकर
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' ने
दो और पद रचकर मेल से भेजे हैं!
--
आप भी पढ़िए -
--
मुझको सबसे अच्छा लगता -
अपनी माँ का मुखड़ा!

सुबह उठाती गले लगाकर,
नहलाती है फिर बहलाकर,
आँख मूँद, कर जोड़ पूजती ,
प्रभु को सबकी कुशल मनाकर,
देती है ज्यादा प्रसाद फिर
सबकी नजर बचाकर.

आँचल में छिप जाता मैं ज्यों
रहे गाय सँग बछड़ा.
मुझको सबसे अच्छा लगता -
अपनी माँ का मुखड़ा.

बारिश में छतरी आँचल की,
ठंडी में गर्मी दामन की,
गर्मी में साड़ी का पंखा,
पल्लू में छाया बादल की!

दूध पिलाती है गिलास भर -
कहे बनूँ मैं तगड़ा.
मुझको सबसे अच्छा लगता -
अपनी माँ का मुखड़ा!

माधव( Madhav) ने कहा…

माँ तुझे सलाम

बहुत सुंदर बल गीत...हर माँ को मेरा शत-शत नमन

siddheshwar singh ने कहा…

बहुत अच्छी कविता !खास दिन के वास्ते खास !

हर्षिता ने कहा…

बहुत अच्छी कविता ।

हर्षिता ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति।

पाखी ने कहा…

बहुत सुन्दर!

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

चर्चा मंच पर

इंद्रधनुष के सात रंग मुस्काए!

शीर्षक के अंतर्गत
इस पोस्ट की चर्चा की गई है!

Divya Narmada ने कहा…

आपका प्रस्तुतीकरण का ढंग अनूठा है. साधुवाद.

Related Posts with Thumbnails

"सरस पायस" पर प्रकाशित रचनाएँ ई-मेल द्वारा पढ़ने के लिए

नीचे बने आयत में अपना ई-मेल पता भरकर

Subscribe पर क्लिक् कीजिए

प्रेषक : FeedBurner

नियमावली : कोई भी भेज सकता है, "सरस पायस" पर प्रकाशनार्थ रचनाएँ!

"सरस पायस" के अनुरूप बनाने के लिए प्रकाशनार्थ स्वीकृत रचनाओं में आवश्यक संपादन किया जा सकता है। रचना का शीर्षक भी बदला जा सकता है। ये परिवर्तन समूह : "आओ, मन का गीत रचें" के माध्यम से भी किए जाते हैं!

प्रकाशित/प्रकाश्य रचना की सूचना अविलंब संबंधित ईमेल पते पर भेज दी जाती है।

मानक वर्तनी का ध्यान रखकर यूनिकोड लिपि (देवनागरी) में टंकित, पूर्णत: मौलिक, स्वसृजित, अप्रकाशित, अप्रसारित, संबंधित फ़ोटो/चित्रयुक्त व अन्यत्र विचाराधीन नहीं रचनाओं को प्रकाशन में प्राथमिकता दी जाती है।

रचनाकारों से अपेक्षा की जाती है कि वे "सरस पायस" पर प्रकाशनार्थ भेजी गई रचना को प्रकाशन से पूर्व या पश्चात अपने ब्लॉग पर प्रकाशित न करें और अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित न करवाएँ! अन्यथा की स्थिति में रचना का प्रकाशन रोका जा सकता है और प्रकाशित रचना को हटाया जा सकता है!

पूर्व प्रकाशित रचनाएँ पसंद आने पर ही मँगाई जाती हैं!

"सरस पायस" बच्चों के लिए अंतरजाल पर प्रकाशित पूर्णत: अव्यावसायिक हिंदी साहित्यिक पत्रिका है। इस पर रचना प्रकाशन के लिए कोई धनराशि ली या दी नहीं जाती है।

अन्य किसी भी बात के लिए सीधे "सरस पायस" के संपादक से संपर्क किया जा सकता है।

आवृत्ति