रविवार, मई 09, 2010
अपनी माँ का मुखड़ा : रावेंद्रकुमार रवि का एक बालगीत
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21 टिप्पणियां:
बहुत ही सुन्दर गीत है, हर माँ को मेरा नमन!
सुंदर रचना ।
संसार की समस्त माताओं को नमन
ek manoram rachna. pavitrta k bhaav liye hue.badhayi.
माँ के प्रति बहुत सुन्दर भावों से सजा ये गीत बहुत अच्छा लगा....
सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत ही सुन्दर गीत !!
मदर्स डे ki बधाई . आज ममा लोगों का दिन है, सो कोई शरारत नहीं केवल प्यार और प्यार !!
सुन्दर गीत, माँ को प्रणाम , आज सुबह सुबह दो गीत सुने
१. माँ , मेरी माँ - दसविदानिया
२. चंदा है तू, मेरा सूरज है तू - आराधना
मेरी माँ ने मुझे बड़ी तमन्ना से पढाया है, और आज मै जो भी हूँ, सब उनका ही हूँ, माँ तुम्हे प्रणाम
nice
बहुत सुंदर प्रस्तुति....मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ !!
मां तुझे सलाम
पीड़ा को सहकर जिसने दुनिया में हमें उतारा,
माता को अपना शिशु सबसे ज्यादा होता प्यारा,
कोटि-कोटि माँ का आभार!
हम उस माँ को करते प्यार!!
--
मातृ-दिवस पर सुन्दर और मनभावन गीत!
मुझको सबसे अच्छा लगता -
अपनी माँ का मुखड़ा!
क्योंकि माँ माँ होती है
बच्चो के लिये जाँ होती है
बहुत सुंदर बल गीत धन्यवाद
सुबह-शाम का सूरज अच्छा,
चाँद निकलता-छुपता अच्छा,
चम-चम करता तारा अच्छा,
बगिया का हर फुलवा अच्छा!
लेकिन मुझको अच्छी लगती -
अपनी माँ की हँसी रस-भरी
बहुत सुंदर बल गीत...हर माँ को मेरा शत-शत नमन
इस बालगीत से प्रेरित होकर
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' ने
दो और पद रचकर मेल से भेजे हैं!
--
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--
मुझको सबसे अच्छा लगता -
अपनी माँ का मुखड़ा!
सुबह उठाती गले लगाकर,
नहलाती है फिर बहलाकर,
आँख मूँद, कर जोड़ पूजती ,
प्रभु को सबकी कुशल मनाकर,
देती है ज्यादा प्रसाद फिर
सबकी नजर बचाकर.
आँचल में छिप जाता मैं ज्यों
रहे गाय सँग बछड़ा.
मुझको सबसे अच्छा लगता -
अपनी माँ का मुखड़ा.
बारिश में छतरी आँचल की,
ठंडी में गर्मी दामन की,
गर्मी में साड़ी का पंखा,
पल्लू में छाया बादल की!
दूध पिलाती है गिलास भर -
कहे बनूँ मैं तगड़ा.
मुझको सबसे अच्छा लगता -
अपनी माँ का मुखड़ा!
माँ तुझे सलाम
बहुत सुंदर बल गीत...हर माँ को मेरा शत-शत नमन
बहुत अच्छी कविता !खास दिन के वास्ते खास !
बहुत अच्छी कविता ।
बहुत सुंदर प्रस्तुति।
बहुत सुन्दर!
चर्चा मंच पर
इंद्रधनुष के सात रंग मुस्काए!
शीर्षक के अंतर्गत
इस पोस्ट की चर्चा की गई है!
आपका प्रस्तुतीकरण का ढंग अनूठा है. साधुवाद.
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