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रविवार, जून 12, 2011

देखो, मैं कितना गोरा हूँ : पहेली का हल

८ जून २०११ को सरस पायस पर यह चित्र प्रकाशित करके 
यह पूछा गया था कि यह किसका फ़ोटो है! 
इसके साथ पहेली के रूप में 
मेरी एक कविता भी प्रकाशित की गई थी
जिसमें इसके नाम से संबंधित संकेत दिए गए थे!
-------------------------------  
बहुत बढ़िया! अच्छी पहेली है!
उत्तर तो मुझे पता हैमगर बताऊँगा नहीं! 

Raja Lambert ने इसे खरगोश बताया! 

Akshita (Pakhi) ने कहा
पहले मयंक दादा जी बताएँगे
फिर हम बच्चों की बारी... 

मयंक दादा जी ने बताया
अरे भाई! यह तो बिल्ली है! 
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इसका उत्तर बताने से पहले मैं 
यह बताना चाहता हूँ कि कविता से इसके उत्तर का अनुमान 
कैसे लगाया जा सकता है! 

पहले संकेत में मिले शब्दों को कोष्ठक में लिख लेते हैं!

मुझमें अंग-अंग है आता,  (अंग)
रगों-रगों से मैं बन जाता!  (रगों)

लगता तो बिल्कुल बोरा हूँ,
देखोमैं कितना गोरा हूँ!  (गोरा)

खर्र-खर्र भी है मुझमें,  (खर्र)
गोश्त बहुत-सा है मुझमें! (गोश्त)

अंगूरों की याद दिलाता,  (अंगूरों)
राख मिला पहचाना जाता!  (राख

अब इन सभी शब्दों को एक साथ रखकर प्रयास करते हैं!

( अंगरगोंगोराखर्रगोश्तअंगूरोंराख )

पहले कुछ अनोखे शब्द हमारे सामने प्रकट होते हैं! जैसे -- 

अंग व रगों से अंगरगों
अंग व गोरा से अंगगोरा
खर्र व गोश्त से खरगोश (सबसे आसान)
अंगूरों व अंगगोरा से बनता है अंगोरा
अंगोरा के अंतिम व खरगोश के पहले अक्षर को मिलाने से राख बनता है! 

इस प्रकार पहेली का सही उत्तर निकलकर आ जाता है! 

 अंगोरा खरगोश 





प्रयास करने के और भी तरीक़े हो सकते हैं!
 रावेंद्रकुमार रवि 

9 टिप्‍पणियां:

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत रोचक..

संगीता पुरी ने कहा…

बढिया .. शुभकामनाएं !!

Kashvi Kaneri ने कहा…

मैं सही थी ?

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

रवि जी आपका कहना बिल्कुल सही है!

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

अरे वह इतना रोचक तरीके से समझा दिया आपने...... बच्चे ही क्या बड़ों को भी अच्छा लगेगा..... आभार

गिरिजा कुलश्रेष्ठ ने कहा…

बहुत सुन्दर बुद्धिमत्तापूर्ण..

गिरिजा कुलश्रेष्ठ ने कहा…

बहुत सुन्दर बुद्धिमत्तापूर्ण..

अजय कुमार झा ने कहा…

हिंदी ब्लॉग जगत को ,आपके ब्लॉग को और आपके पाठकों को आपकी नई पोस्ट की प्रतीक्षा है | आइये न लौट के फिर से कभी ,जब मन करे जब समय मिलते जितना मन करे जितना ही समय मिले | आपके पुराने साथी और नए नए दोस्त भी बड़े मन से बड़ी आस से इंतज़ार कर रहे हैं |

माना की फेसबुक ,व्हाट्सप की दुनिया बहुत तेज़ और बहुत बड़ी हो गयी है तो क्या घर के एक कमरे में जाना बंद तो नहीं कर देंगे न |

मुझे पता है आपने हमने बहुत बार ये कोशिस की है बार बार की है , तो जब बाक़ी सब कुछ नहीं छोड़ सकते तो फिर अपने इस अंतर्जालीय डायरी के पन्ने इतने सालों तक न पलटें ,ऐसा होता है क्या ,ऐसा होना चाहिए क्या |

पोस्ट लिख नहीं सकते तो पढ़िए न ,लम्बी न सही एक फोटो ही सही फोटो न सही एक टिप्पणी ही सही | अपने लिए ,अंतरजाल पर हिंदी के लिए ,हमारे लिए ब्लॉगिंग के लिए ,लौटिए लौटिए कृपया करके लौट आइये

यही आग्रह मैं सबसे कर रहा हूँ उनसे भी जो पांच छह साल और उससे भी अधिक से पोस्टें नहीं लिख रहे हैं कारण का पता नहीं मगर मैं आवाज़ देता रहूंगा और आपसे भी यही आग्रह करूंगा कि आप भी मेरे साथ उनके साथ हो लीजिये |

Telkom University ने कहा…

Can you provide information about the photograph published on Saras Payas on June 8, 2011, and explain the puzzle associated with identifying the person in the photo?Telkom University

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