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बुधवार, जून 22, 2011

नहीं गलेगी तेरी दाल : सुधीर सक्सेना सुधि की बालकविता


 नहीं गलेगी तेरी दाल


बिल्ली बोली चूहे से -
चुहिया है बीमार।
लेकर चुहिया बाहर आ जा,
लिए खड़ी मैं कार।

चूहा बोला - हुई बावली,
मैं सब जानूँ तेरी चाल।
जिधर से आई, उधर चली जा,
नहीं गलेगी तेरी दाल।


♥ सुधीर सक्सेना सुधि 
(फ़ोटो : गूगल सर्च से साभार)

7 टिप्‍पणियां:

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

प्यारी बाल रचना

जीवन और जगत ने कहा…

बढि़या बाल कविता।

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत रोचक बाल रचना..

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

सुंदर कविता

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर और बालोपयोगी रचना!

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत रोचक बाल रचना

बेनामी ने कहा…

रोचक !!

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