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सोमवार, मई 17, 2010

सबके मन को भाए : दीनदयाल शर्मा की एक बालकविता

सबके मन को भाए


इसके बिन है सरकस सूना,
दर्शक एक न आए।
उल्टे-सीधे कपड़े पहने,
करतब ख़ूब दिखाए।

गुमसुम कभी न देखा इसको,
हर पल यह मुस्काए।
ख़ुद तो हँसता ही रहता है,
सबको ख़ूब हँसाए।

गिरते-गिरते बच जाता यह,
पल-पल में इतराए।
जोकर ही हो सकता है, जो
सबके मन को भाए।

दीनदयाल शर्मा

(इस कविता के प्रस्तुतीकरण पर रीझकर शर्मा जी ने यह कली उपहार में भेजी है!)

(इस कविता के प्रस्तुतीकरण पर रीझकर शर्मा जी ने यह कली उपहार में भेजी है!)

16 टिप्‍पणियां:

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

waah waah !
bahut sundar....

M VERMA ने कहा…

बेहतरीन बाल कविता

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सहज, सरल भाषा में जोकर की खूबी गिनवाई!
यह सुन्दर रचना तो भइया मेरे मन को भाई!

honesty project democracy ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुती और सुन्दर कविता /

siddheshwar singh ने कहा…

a good poetic creation of the world of clowns !

Unknown ने कहा…

waah waah...........

atyant komalkaant.....bilkul shaishav ki tarah......

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

दीनदयाल अंकल जी..बहुत प्यारी बाल कविता..पढ़कर मजा आ गया...बधाई.
हा..हा..हा...जोकर के रूप में आपका चित्र भी बड़ा मजेदार..
_______________
'पाखी की दुनिया' में मेरी ड्राइंग देखें...

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

आप सब की सुंदर टिप्पणियों के लिए आभारी हूँ!
--
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि
श्री दीनदयाल शर्मा जी
सुप्रसिद्ध और जाने-माने बालसाहित्यकार हैं!
उनकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में
निरंतर प्रकाशित होती रहती हैं!
--
आदरणीय शर्मा जी ने इसे ऑरकुट पर भी सजा रखा है!

माधव( Madhav) ने कहा…

जोकर की कविता अच्छी है , पर दुर्भागया से सर्कस ख़त्म होता जा रहा है , शायद इस कविता से सर्कस में कुछ प्राण आ जाए

दीनदयाल शर्मा ने कहा…

Res.Ravendra ji apka dhanywaad ki meri kavita ko apne apne blog par sajaya..aur Dr.Maynak ji ka bahut bahut abhaar..jinhone meri kavita men mujhe hi "JOKAR" bna diya.. inke alawa tippni krne wale jagrook rachnakaron aur ranchna premion mitron aur shubhchintkon ka bhi hardik abhaar ki unhone apne shabd dekr gaurwanvit kiya..fir se...... sabka dhanywaad..

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर जी.
धन्यवाद

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत सुन्दर बालकविता .....और चित्र ने तो चार चाँद लगा दिए...

मनोज कुमार ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुती

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

इस कविता के प्रस्तुतीकरण पर रीझकर
शर्मा जी ने एक रूपवती और सुगंधित कली उपहार में भेजी है!

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

सिद्धेश्वर जी की टिप्पणी का हिंदी अनुवाद -

"क्लोन्स" की दुनिया का एक अच्छा काव्यात्मक सर्जन!

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

अरे शर्मा जी, ये क्या हुआ?

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