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रविवार, फ़रवरी 06, 2011

रेल चली, भइ, रेल चली : रानीविशाल का बालगीत

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रेल चली, भइ, रेल चली
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झक-पक, छुक-छुक,
झक-पक, छुक-छुक।
रेल चली, भइ, रेल चली।



झक-पक, छुक-छुक,
झक-पक, छुक-छुक।
रेल चली, भइ, रेल चली।

जब दौड़े जंगल के अंदर,
इसे देखकर झूमे बंदर।
दौड़-दौड़कर पुल के ऊपर,
यह नदिया के पार चली।



झक-पक, छुक-छुक,
झक-पक, छुक-छुक।
रेल चली, भइ, रेल चली।

टा-टा करते उछल-कूदकर,
मोर नाचते इसे देखकर।
गाँव-शहर से होते-होते,
नानीजी के द्वार चली।



झक-पक, छुक-छुक,
झक-पक, छुक-छुक।
रेल चली, भइ, रेल चली।

हर मौसम में आती-जाती,
हमको सारा देश घुमाती।
नए दोस्तों से मिलवाती,
ख़ूब बढ़ाती प्यार चली।



झक-पक, छुक-छुक,
झक-पक, छुक-छुक।
रेल चली, भइ, रेल चली।

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♥♥ रानीविशाल ♥♥
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साभार : अपनी माँ "रानीविशाल" द्वारा अपने लिए रचित
यह गीत "सरस पायस" पर अपने सभी साथियों से
साझा करके अनुष्का "ईवा" बहुत ख़ुश है!

♥♥ संपादक "सरस पायस" ♥♥
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11 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

इतना सरस बालगीत रचने के लिए रानी विशाल जी को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
यह रचना सरस पायस के मानक के अनुरूप है।

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर जी धन्यवाद

बेनामी ने कहा…

हम्म.. और इस गीत को पढ़ कर अनुष्का के दोस्त यानि के हम भी बहुत खुश है.. :)

डॉ. नागेश पांडेय संजय ने कहा…

सुंदर । बहुत सुंदर ... प्यारा सा गीत । हाँ , यह गीत बहुत-बहुत-बहुत ही सुंदर हो सकता है , यदि अंत मेँ प्रवाह ठीक हो जाए ।सब वाह ! वाह ! करेँगे । क्या विचार है मान्यवर ?

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत सुंदर

संजय भास्‍कर ने कहा…

प्यारा गीत

संजय भास्‍कर ने कहा…

are wah anuska mama ji bhi aa gye

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

नागेश भाई,
आपका कहना बिल्कुल सही है!
--
ऐसा पहली बार हुआ है,
जब "सरस पायस" पर किसी गीत को
बिना संपादन किए प्रकाशित कर दिया गया!
--
मैं रानीविशालजी से विचार-विमर्श करके
इस प्रवाह को पूरी तरह से दूर करने का प्रयास करूँगा!
--
इस ओर ध्यान दिलाने के लिए
आपका आभारी हूँ!

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

नागेश भाई से अनुरोध है --
क्या अब यह गीत प्रवाहमान हो गया है?
कृपया बताएँ!

डॉ. नागेश पांडेय संजय ने कहा…

मान्यवर , आप पाठकोँ के सुझावोँ को इतनी सहजता एवं गंभीरता से स्वीकार करते हैँ और फिर इतनी तत्परता के साथ सजग संपादन भी .,। बाल सखा और पराग जैसी पत्रिकाएँ भले ही आज बंद हैँ किँतु ऐसे ही संपादकोँ की दूरदृष्टि के फलस्वरूप ही आज भी उनका सानी नहीँ है । फिलहाल ... वाह ! वाह ! वाह ! आपके लिए भी और इस सरस गीत की रचनाकार रानी जी के लिए भी । बच्चे इसे मस्ती और पूरी तन्मयता के साथ गाएँगे और ऐसी अन्य श्रेष्ठ रचनाओँ की सोत्साह प्रतीक्षा करेँगे । बधाई... बधाई ...जी , बधाई ।

अनुष्का 'ईवा' ने कहा…

इस गीत को चार चाँद लगा कर यहाँ प्रकाशित करने के लिए ह्रदय से आभार ...

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