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शनिवार, दिसंबर 25, 2010

आओ, मन का गीत रचें : एक : कोई भी रच सकता है

आओ, मन का गीत रचें : एक : कोई भी रच सकता है


आओ, मन का गीत रचें(प्रतिमान : मान्या)
क्या इस छायाचित्र को देखकर आपका मन कुछ कह रहा है?
यदि हाँ, तो उसे संक्षिप्त कविता या गीत के रूप में
टिप्पणी के माध्यम से हमें भी बताइए!
समय सीमा - एक सप्ताह!
आपकी रचनाओं को प्रथम, द्वितीय, ... ... स्थान देते हुए
आवश्यक संपादन के बाद एक साथ प्रकाशित किया जाएगा!
टिप्पणी द्वारा
कविता या गीत आने की सूचना
भेजनेवाले के नाम के साथ टिप्पणी के द्वारा दे दी जाएगी!
सार्वजनिक पहचान प्रदर्शित करनेवाले सभी व्यक्ति
इस गतिविधि में प्रतिभाग कर सकते हैं!
इस संबंध में "सरस पायस" के संपादक का निर्णय अंतिम रूप से मान्य होगा!
इस गतिविधि में प्रतिभाग करने के लिए अन्य कोई प्रतिबंध नहीं है!


12 comments:


महामंत्री - तस्लीम ने कहा…

बहुत अच्छा प्रयास है। बधाई। -Zakir Ali ‘Rajnish’ { Secretary- TSALIIM / SBAI }


ज्योति सिंह ने कहा…

phoolo se badhkar sukumari ,nanhi gudiya badi pyari .gum-sum si ghoonghat ye dale ,kin khayalo me khoyi dulari .aangan ki ye nanhi chidiya ,kuchh to bikhero muskan pyari .tumahare madhur muskan se ,mahke ye duniya hamari .


रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

ज्योति सिंह जी द्वारा रचित पहला गीत प्राप्त हो गया है!


डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक ने कहा…

इतनी जल्दी क्या है बिटिया, सिर पर पल्लू लाने की। अभी उम्र है गुड्डे-गुड़ियों के संग, समय बिताने की।। मम्मी-पापा तुम्हें देख कर, मन ही मन हर्षाते हैं। घूँघट वाली मान्या का, वे चित्र ब्लाग पर पाते हैं।। जब आयेगा समय सुहाना, देगे हम उपहार तुम्हें। तन मन धन से सब सौगातें, देगे बारम्बार तुम्हें।। रवि ने आमन्त्रण भेजा है, गीत रचो अपने मन का। लगता है बादल में से, ज्यों चाँद झाँकता पूनम का।।


रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

इस चित्र को देखकर रचा गया दूसरा गीत भीप्राप्त हो गया है! इसके रचनाकार हैं - डॉ. रूपचंद्र शास्त्री मयंक जी!


sidheshwer ने कहा…

साड़ी की छतरी बनी सिर पर लिया तान. बची रहो तुम धूप से बनी रहे मुस्कान.


रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

मान्या के इस चित्र द्वारा रचवाया गया तीसरा गीत सिद्धेश्वर जी की लेखनी से प्राप्त हुआ है!


रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

इस गतिविधि में प्रतिभाग करने की समय-सीमा एक सप्ताह के लिए और बढ़ा दी गई है! अर्थात् अब आप अपनी रचनाएँ 24.05.2009 की मध्य-रात्रि तक भेज सकते हैं! इसके बाद समय-सीमा नहीं बढ़ाई जाएगी!


शशिभूषण बडोनी ने कहा…

रवि जी, यहाँ तक पहुँचने में देर हो गई!


Saras Paayas ने कहा…

Manya is looking very attractive in this look.


रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

कोई बात नहीं, बडोनी जी! यह गीत-रचन तो चलता ही रहेगा! अगली बार सबसे पहले पहुँच जाइएगा!


रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

कल दिनांक : 29.05.2009 से इस गतिविधि का परिणाम घोषित किया जाने लगेगा! ---------------------- अत: आज कुछ देर पहले प्रतिभागियों की रचनाओं से युक्त टिप्पणियों को प्रकाशित कर दिया गया है, ताकि यह अनुमान लगाया जा सके कि किसको कौन-सा स्थान मिलेगा! ---------------------- (संपादक : सरस पायस) ----------------------

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