परिणाम : (द्वितीय भाग) : आओ, मन का गीत रचें - एक
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जब आएगा समय सुहाना
अपने "मन का गीत" रचनेवाले जिन रचनाकार को
द्वितीय क्रम पर बधाई दी जा रही है, उनका नाम है -
--- :: ((डॉ.रूपचंद्र शास्त्री मयंक)) :: ---
द्वितीय
स्थान पर रखा गया है!
ःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःः
इतनी जल्दी क्या है बिटिया,
सिर पर पल्लू लाने की।
अभी उम्र है गुड्डे-गुड़ियों
के सँग समय बिताने की।।
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मम्मी-पापा तुम्हें देखकर,
मन ही मन हर्षाते हैं।
घूँघटवाली मान्या का जब,
चित्र ब्लॉग पर पाते हैं।।
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जब आएगा समय सुहाना,
देंगे हम उपहार तुम्हें।
तन-मन-धन से सब सौगातें,
देंगे बारंबार तुम्हें।।
ःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःः
इस कविता को यहाँ प्रकाशित करने से पहले
इसमें आवश्यक संपादन किया गया है!
मूल कवितायुक्त टिप्पणी को
यथास्थान
प्रकाशित किया जा चुका है!
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मयंक जी "उच्चारण", "शब्दों का दंगल" और "मयंक" नामक
तीन ब्लॉग भी संचालित करते हैं!
किसी भी ब्लॉग के नाम पर क्लिक् करके उनकी अन्य रचनाओं को पढ़ा जा सकता है!
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"भविष्य में होनेवाली इस गतिविधि के आगामी चरणों में वे इससे उच्च स्थान पाएँ!"
- इसके लिए उन्हें हार्दिक शुभकामनाएँ! -
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तृतीय स्थान : ज्योति सिंह की कविता
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31.05.09 को प्रथम स्थान घोषित किया जाएगा! 01.06.09 और 02.06.09 को इससे संबंधित विशेष रचनाएँ प्रकाशित की जाएँगी!
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---- : (( संपादक : सरस पायस )) : ----
7 comments:
- रवि भाई, डॉ.रूपचंद्र शास्त्री मयंक साहब ने बहुत ही सुन्दर रचना लिखी है . दिल से बधाई. इतनी जल्दी क्या है बिटिया, सिर पर पल्लू लाने की। अभी उम्र है गुड्डे-गुड़ियों के सँग समय बिताने की।।
- भाई रवि जी, डॉ.रूपचंद्र शास्त्री 'मयंक' जी को इस सुंदर अभिव्यक्ति के लिए और आपको इस उम्दा प्रस्तुति के लिए बधाई !
- बहुत प्यारी कविता, बधाई..
- मयंक जी की कविता तो हमेशा की तरह बहुत सुन्दर है हमारा मन मोह लेती है तो बच्छों को तो बहुत भायेगी बधाई
- bitiya ke bachapan ko sahejate huye sunder rachana likhi hai aapne .badhaai dhero badhaai .
- dr. Sahab ko bahut sari badheyan jo unhone etne sundar dhang se apne shabdo ko ukera. or Photograper ji ko bhi thanx jo itni pryari foto khichi
- बहुत सुंदर कविता के लिए बधाई।
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