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रविवार, जनवरी 09, 2011

आज है डॉ. मयंक के "नन्हे सुमन" का विमोचन समारोह

ब्लॉगिंग की दुनिया में
डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक" को कौन नहीं जानता!
इसलिए उनके बारे में 
और कुछ न कहते हुए, उनकी इस पुस्तक के 
विमोचन-समारोह में सम्मिलित होने के लिए जा रहा हूँ!


तब तक आप इस संकलन में प्रकाशित
उनकी इस शिशुकविता का आनंद लीजिए! 
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चले देखने मेला
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हाथी दादा सूँड उठाकर
चले देखने मेला! 

बंदर मामा साथ हो लिया
बनकर उनका चेला!
चाट-पकौड़ी ख़ूब उड़ाई
देख चाट का ठेला!
बहुत मज़े से फिर दोनों ने
जमकर खाया केला!

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डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक"
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7 टिप्‍पणियां:

Mrityunjay Kumar Rai ने कहा…

best wishes for him, may the book be a bestsellers

Shubham Jain ने कहा…

badhai...

डॉ. नागेश पांडेय संजय ने कहा…

डा. रूप चन्द्र शास्त्री जी को मेरी अछोर बधाइयाँ . विभागीय कार्यों के चलते मैं उनके आयोजन में नहीं आ सका . उनकी पुस्तक बाल साहित्य जगत में नवीन मानक निरुपित करे औए बालकों की सच्ची मित्र बनकर उभरे , यही कामना है.

राज भाटिय़ा ने कहा…

शुबह्कामनाऎ ओर बहुत सी बधाई जी

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

आदरणीय मयंक अंकल को बधाई और शुभकामनाये.....

बेनामी ने कहा…

सरस पायस पर मेरी पुस्तक नन्हे सुमन के विमोचन और उसमें छपी बाल कविता को प्रकाशित करने के लिए आभार!
--
विमोचन के कार्यक्रम और ब्लॉगर्स सम्मेलन का सफल संचालन करने के लिए रावेंद्रकुमार रवि जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

मयंक दादा जी को ढेर सारी बधाई. रवि अंकल ने तो कुछ गीत यही पढ़ा दिए..पर हमें भी यह पुस्तक पढने के लिए भेजिएगा.

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